- रक्षा मंत्रालय का अहम फैसला, जरूरत पड़ने पर नियमित सेना की मदद करेगी टेरिटोरियल आर्मी
New Delhi : भारत-पाकिस्तान सीमा पर बढ़ते तनाव को देखते हुए, रक्षा मंत्रालय ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए सेना प्रमुख को विशेष अधिकार प्रदान किए हैं। यह असाधारण अधिकार सेना प्रमुख को टेरिटोरियल आर्मी (टीए) के अधिकारियों को सक्रिय करने और आवश्यकता पड़ने पर उन्हें नियमित सेना की सहायता के लिए बुलाने की अनुमति देता है। इस फैसले से देश की सैन्य ताकत में তাৎক্ষণিক वृद्धि होने की संभावना है।
भारत में टेरिटोरियल आर्मी की 32 इन्फेंट्री बटालियन हैं, जिनमें विभिन्न नागरिक क्षेत्रों में कार्यरत नागरिक शामिल हैं। ये टीए के सदस्य अपने-अपने क्षेत्रों में काम करते हुए भी सैन्य प्रशिक्षण प्राप्त करते रहते हैं और युद्धकालीन परिस्थितियों या राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी अन्य आपात स्थितियों में नियमित सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करने में पूरी तरह से सक्षम हैं। रक्षा मंत्रालय के इस नए अधिकार के तहत, लगभग 50,000 से 60,000 अतिरिक्त प्रशिक्षित सैनिकों को आवश्यकतानुसार सेना में शामिल किया जा सकेगा, जो सीमा पर बढ़ते दबाव को संभालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
रक्षा मंत्रालय के उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, यह निर्णय सीमा पर मौजूदा सुरक्षा परिदृश्य का गहन विश्लेषण करने के बाद लिया गया है। हाल के दिनों में भारत-पाकिस्तान सीमा पर जिस तरह से तनाव बढ़ा है, उसे देखते हुए यह आवश्यक हो गया था कि सेना के पास अतिरिक्त मानव संसाधन उपलब्ध हों, ताकि किसी भी आकस्मिक स्थिति से प्रभावी ढंग से निपटा जा सके। टेरिटोरियल आर्मी, जिसमें देश के समर्पित और प्रशिक्षित नागरिक शामिल हैं, इस आवश्यकता को पूरा करने के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन साबित हो सकती है।
टेरिटोरियल आर्मी की यह विशेषता है कि इसमें शामिल जवान सामान्य समय में अपने-अपने व्यवसायों में कार्यरत रहते हैं, लेकिन जब देश को उनकी आवश्यकता होती है, तो वे तुरंत सैन्य ड्यूटी के लिए उपलब्ध हो जाते हैं। उन्हें नियमित सैनिकों की तरह ही कठोर प्रशिक्षण दिया जाता है और वे युद्ध की परिस्थितियों में भी कुशलता से लड़ने में सक्षम होते हैं। विभिन्न क्षेत्रों के पेशेवरों, जैसे इंजीनियर, डॉक्टर, शिक्षक और अन्य कुशल कामगारों के शामिल होने से टीए न केवल सैन्य ताकत प्रदान करती है, बल्कि आवश्यकता पड़ने पर विशिष्ट क्षेत्रों में अपनी विशेषज्ञता भी प्रदान कर सकती है।
रक्षा मंत्रालय के इस कदम को सैन्य विशेषज्ञों ने भी सराहा है। उनका मानना है कि यह एक दूरदर्शी निर्णय है जो सीमा सुरक्षा को और मजबूत करने में सहायक होगा। टेरिटोरियल आर्मी को सक्रिय करने का अधिकार सेना प्रमुख को सामरिक लचीलापन प्रदान करेगा, जिससे वे आवश्यकतानुसार सैनिकों की तैनाती कर सकेंगे और दुश्मन की किसी भी चुनौती का मुंहतोड़ जवाब दे सकेंगे।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि टेरिटोरियल आर्मी का सक्रियण एक एहतियाती उपाय है और इसका उद्देश्य सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखना है। भारत हमेशा से शांति का पक्षधर रहा है, लेकिन अपनी सुरक्षा और संप्रभुता की रक्षा के लिए हर आवश्यक कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है। टेरिटोरियल आर्मी को सक्रिय करने का यह निर्णय इसी प्रतिबद्धता का एक हिस्सा है।
सेना प्रमुख को मिले ये विशेष अधिकार उन्हें यह भी अनुमति देंगे कि वे टीए की विभिन्न इकाइयों को उनकी विशेषज्ञता और प्रशिक्षण के अनुसार अलग-अलग कार्यों में तैनात कर सकें। कुछ इकाइयों को सीमा पर गश्त और निगरानी के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, जबकि कुछ अन्य इकाइयों को लॉजिस्टिक्स और अन्य सहायक कार्यों में लगाया जा सकता है। इससे नियमित सेना पर दबाव कम होगा और वे अपनी मुख्य युद्धक भूमिका पर अधिक ध्यान केंद्रित कर पाएंगे।
रक्षा मंत्रालय के इस महत्वपूर्ण फैसले से न केवल सेना की operational capability बढ़ेगी, बल्कि देश के नागरिकों के बीच भी सुरक्षा की भावना मजबूत होगी। टेरिटोरियल आर्मी के जवान हमारे ही बीच के लोग हैं, जो देश की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। उन्हें सक्रिय करने का यह निर्णय देश की एकता और संकल्प को भी दर्शाता है।