सेंट्रल डेस्क: लोकसभा में मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू करने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया। इस प्रस्ताव को बुधवार देर रात वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 पर 14 घंटे की तीव्र बहस के बाद पारित किया गया। गृह मंत्री अमित शाह ने 3 अप्रैल को सुबह 2 बजे मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू करने का प्रस्ताव पेश किया, लेकिन मणिपुर के विषय में चर्चा केवल 41 मिनट चली, जिसमें शाह का 9 मिनट का जवाब भी शामिल था।
किरण रिजीजू ने किया था चर्चा का अनुरोध
यह प्रस्ताव उस समय पर लाया गया जब केंद्रीय मंत्री और संसदीय मामलों के मंत्री किरेन रिजीजू ने अध्यक्ष से मणिपुर में राष्ट्रपति शासन पर चर्चा शुरू करने का अनुरोध किया। हांलाकि विपक्ष ने इस पर प्रस्ताव दिया कि इसे अगले दिन तक टाल दिया जाए। इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिडला ने कांग्रेस सांसद शशि थरूर को प्रस्ताव पर चर्चा शुरू करने के लिए कहा।
राष्ट्रपति शासन को ले लंबित था संसद का अनुमोदन
थरूर ने 2 बजे के प्रस्ताव का समर्थन करते हुए इसे हालात बेहतर करने का एक अवसर बताया। उन्होंने अपने भाषण में कहा, हमने मणिपुर की जो भयावहता देखी है, वह एक धीमी-जलती हुई त्रासदी रही है, जो मई 2023 में शुरू हुई थी और फरवरी 2025 तक जारी रही। इस दौरान 250 से अधिक लोगों की मौत हुई। गौरतलब है कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन 13 फरवरी को घोषित किया गया था, लेकिन इसका संसद से अनुमोदन लंबित था।
थरूर ने लगाया कानून-व्यवस्था में नाकामी का आरोप
उन्होंने आगे कहा कि 5,600 से अधिक हथियार और 6.5 लाख राउंड गोलियां पुलिस के असलहे से लूट ली गई और 70,000 लोग विस्थापित हुए, जिनमें से कई राहत शिविरों में रह रहे हैं। थरूर ने सरकार पर कानून और व्यवस्था बहाल करने में नाकामी का आरोप लगाया। मुझे खेद है कि कांग्रेस ने बार-बार राष्ट्रपति शासन लागू करने का आग्रह किया, लेकिन इसे लागू करने में देरी की गई।
कांग्रेस ने तैयार किया था अविश्वास प्रस्ताव
थरूर ने यह भी आरोप लगाया कि “कांग्रेस पार्टी ने पहले ही एक अविश्वास प्रस्ताव तैयार किया था। यहां तक कि आपकी सहयोगी पार्टी, एनपीपी, ने अपना समर्थन वापस ले लिया। लेकिन विधानसभा नहीं बैठी, और क्योंकि सरकार विश्वास मत नहीं पास कर सकती थी, राष्ट्रपति शासन लागू किया गया।”
मणिपुर में 11 बार लग चुका राष्ट्रपति शासन
थरूर ने इसे “दुखद घटना” बताते हुए कहा कि यह “राष्ट्र की आत्मा पर एक कलंक” रहेगा। उन्होंने यह भी बताया कि मणिपुर में राष्ट्रपति शासन अब तक 11 बार लागू हुआ है, जो किसी भी भारतीय राज्य के लिए सबसे अधिक है। उन्होंने राज्य की पिछड़ी स्थिति, बेरोजगारी दर, अविकसित बुनियादी ढांचे और बढ़ते अवैध प्रवासन और मादक पदार्थों की तस्करी के मुद्दों की भी आलोचना की।
मणिपुर में हालात सुधरने की जताई उम्मीद
उन्होंने मणिपुर में एक महिला पुलिस अधिकारी के इस्तीफे का उदाहरण दिया, जिसने आरोप लगाया था कि सरकार और मुख्यमंत्री मादक पदार्थों की तस्करी में लिप्त लोगों को संरक्षण दे रहे थे। हालांकि, उन्होंने इस आलोचना के बावजूद उम्मीद जताई कि राष्ट्रपति शासन मणिपुर के लिए स्थिति के सुधरने का मार्ग प्रशस्त करेगा।