कांगो संकट : कांगो गणराज्य में हिंसा अपने चरम पर पहुंच गई है, जिसमें विद्रोहियों ने राजधानी गोमा पर कब्जा कर लिया है। बढ़ते संघर्ष के बीच, लाखों लोग क्षेत्र में फंसे हुए हैं। उनके पास केवल दो विकल्प हैं—या तो कमजोर और असंगठित राष्ट्रीय सेना के साथ शरण लें या पड़ोसी रुआंडा की ओर भाग लें।
बता दें कि रूआंडा को मार्च-23 या एम-23 विद्रोहियों का समर्थन करने का आरोप लगाया गया है। किनशासा में भारतीय दूतावास ने भारतीय नागरिकों के लिए एक सलाह जारी की है, जिसमें उन्हें तुरंत सुरक्षित स्थानों पर जाने का आग्रह किया गया है।
भारतीय दूतावास ने एडवाइजरी जारी कर कहा….
भारतीय दूतावास द्वारा जारी एडवाइजरी में कहा गया है कि कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (डीआरसी) के पूर्वी क्षेत्र में सुरक्षा स्थिति की निगरानी कर रहे भारतीय दूतावास ने बताया है कि एम-23 विद्रोहियों की मुवमेंट्स बुकेवु की ओर बढ़ रही हैं, जो गोमा से लगभग 200 किलोमीटर दूर स्थित है। इस क्षेत्र में अस्थिरता की संभावना को देखते हुए, सभी भारतीय नागरिकों को बुकेवु से सुरक्षित स्थानों की ओर प्रस्थान करने की सलाह दी गई है, जब तक हवाई अड्डे, सीमा और वाणिज्यिक मार्ग खुले हैं।
पहचान से संबंधित दस्तावेज, कपड़े, दवा व भोजन
दूतावास ने यह भी बताया कि वर्तमान परिस्थितियों में कांसुलर सेवाएं और सहायता प्रदान करने में इसकी क्षमता सीमित है। उन्होंने भारतीय नागरिकों से यह भी कहा कि वे हमेशा अपनी पहचान और यात्रा से संबंधित दस्तावेज साथ रखें और आवश्यक वस्त्र, दवा और भोजन जैसे जरूरी सामान साथ रखें। इसके साथ ही, नागरिकों से यह भी कहा गया कि वे एक व्यक्तिगत आपातकालीन योजना तैयार करें, जो भारतीय दूतावास के समर्थन पर निर्भर न हो।
महिलाओं के साथ यौन हिंसा
विद्रोहियों के कब्जे के बाद, कांगो की सेना नागरिकों की रक्षा करने में असमर्थ रही है, जिससे स्थिति दिन-ब-दिन और भी खराब होती जा रही है। यह संकट विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों के लिए गंभीर है। सैकड़ों निवासी गोमा से विस्थापित हो गए हैं और विद्रोहियों द्वारा घरों में घुसकर महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ यौन हिंसा किए जाने की रिपोर्ट्स भी सामने आई हैं।
अब तक मारे गए है 773 लोग
कांगो के अधिकारियों ने बताया कि रुआंडा समर्थित विद्रोहियों के साथ संघर्षों में कम से कम 773 लोग मारे गए हैं। यह संघर्ष, जो एक दशक से अधिक समय से जारी है, अब विद्रोहियों द्वारा शहर पर कब्जा कर लिया गया है। अधिकारियों ने 773 शवों की पुष्टि की है जो मार्चरी और अस्पतालों में पाए गए हैं, साथ ही 2,880 लोग घायल हुए हैं। अधिकारियों का कहना है कि मौतों का आंकड़ा और बढ़ सकता है।
क्या है एम-23 और कांगो संकट का कारण
एम-23 विद्रोही समूह का नाम मार्च 23, 2009 को हुए शांति समझौते के बाद रखा गया था, जिसने पूर्वी कांगो में एक पहले के तुत्सी नेतृत्व वाले विद्रोह को समाप्त किया था। इस समूह ने 2022 में अपनी बगावत को फिर से शुरू किया और आरोप लगाया कि कांगो सरकार ने शांति समझौते का सम्मान नहीं किया, खासकर कांगो के तुत्सियों को राष्ट्रीय सेना और सरकारी ढांचों में समाहित करने में।
एम-23 का दावा है कि वह तुत्सी हितों की रक्षा करने के लिए लड़ रहे हैं, खासकर हुतू मिलिशिया जैसे डेमोक्रेटिक फोर्सेस फॉर द लिबरेशन ऑफ रुआंडा (FDLR) के खिलाफ। FDLR वह समूह है जो 1994 के नरसंहार के बाद रुआंडा से भागे हुतू चरमपंथियों द्वारा बनाया गया था, जिसमें लगभग एक मिलियन तुत्सी और हुतू मध्यमार्गी मारे गए थे।
कांगो सरकार और संयुक्त राष्ट्र अधिकारियों ने रुआंडा पर इस संघर्ष को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि रुआंडा ने एम-23 के अभियानों के समर्थन में सैनिकों को भेजा और भारी हथियारों की आपूर्ति की है।