रांची : झारखंड बजट सत्र के दौरान हेमंत सोरेन सरकार ने विधानसभा में सोमवार को एक बड़ा ऐलान किया है। कैबिनेट मंत्री दीपक बिरुआ ने सदन में बताया कि राज्य सरकार अगले वित्तीय वर्ष में जातीय सर्वेक्षण का काम शुरू करेगी। यह घोषणा कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव के सवाल का जवाब देते हुए की गई।
क्या था प्रदीप यादव का सवाल?
कांग्रेस विधायक प्रदीप यादव ने सरकार से सवाल पूछा था कि 12 फरवरी 2024 को कैबिनेट बैठक में जातीय सर्वेक्षण कराने को लेकर फैसला लिया गया था, लेकिन एक साल बीतने के बावजूद इस पर अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं। उन्होंने यह भी कहा कि तेलंगना जैसे राज्य ने हमारे बाद जातीय सर्वेक्षण कराने का निर्णय लिया था और वहां यह कार्य पूरा भी हो चुका है। प्रदीप यादव ने यह भी कहा कि जातीय गणना सिर्फ जनगणना नहीं है, बल्कि समाज का एक्सरे है, जो यह दिखाता है कि कौन सा व्यक्ति किस पायदान पर खड़ा है। उन्होंने सरकार से इस संबंध में रिपोर्ट की मांग की कि इस दिशा में अब तक क्या कदम उठाए गए हैं।
क्या कहा दीपक बिरुआ ने?
मंत्री दीपक बिरुआ ने जवाब देते हुए कहा कि सरकार जातीय सर्वेक्षण के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। इस काम को अगले वित्तीय वर्ष में शुरू किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस दिशा में कार्मिक विभाग को जिम्मेदारी दी गई है और काम जारी है। जातीय जनगणना का काम केंद्र सरकार का है, लेकिन राज्य सरकार ने अपने स्तर पर इसे जल्द शुरू करने के लिए कदम उठाए हैं। इसके साथ ही मंत्री ने यह भी बताया कि किस एजेंसी को यह काम सौंपा जाएगा, इस पर बातचीत जारी है और प्रक्रिया पूरी की जा रही है।
जातीय सर्वेक्षण का महत्व
जातीय सर्वेक्षण, समाज की सच्चाई को सामने लाने के साथ-साथ, आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक स्थिति का निर्धारण करने में मदद करेगा। यह सर्वेक्षण राज्य की सरकारी योजनाओं और नीतियों में सुधार लाने में सहायक होगा, खासकर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों की स्थिति को बेहतर बनाने के लिए। झारखंड सरकार का जातीय सर्वेक्षण का निर्णय समाज में समानता और न्याय को बढ़ावा देने का महत्वपूर्ण कदम है। अगले वित्तीय वर्ष में शुरू होने जा रहे इस सर्वेक्षण से राज्य सरकार को समाज के विभिन्न वर्गों के बारे में जरूरी जानकारी प्राप्त होगी, जो नीतियों के निर्माण और सरकारी योजनाओं की सफलता के लिए अहम साबित होगी।