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हैदराबाद में बड़े पैमाने पर काटे गए पेड़, विरोध-प्रदर्शन के बाद सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

यह मामला तब सामने आया जब खबरें आईं कि सप्ताहांत में हैदराबाद विश्वविद्यालय परिसर के पास बड़ी संख्या में पेड़ काटे गए। छात्रों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने सरकार की इस कार्रवाई के खिलाफ प्रदर्शन किए।

by Reeta Rai Sagar
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सेंट्रल डेस्क: हैदराबाद में बड़े पैमाने पर जंगलों को साफ करने की घटना इनदिनों चर्चा में बनी हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को तेलंगाना के रंगारेड्डी जिले के कंचा गाचीबावली वन क्षेत्र, जो हैदराबाद विश्वविद्यालय परिसर के पास स्थित है, में बड़े पैमाने पर पेड़ कटाई को गंभीरता से लेते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह त्वरित कार्रवाई करे और कोई पेड़ कटाई न करने दें।

उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार को दौरा करने के निर्देश
सर्वोच्च न्यायालय ने तेलंगाना उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्यायिक) को निर्देश दिया कि वह स्थल का दौरा करें और आज (3 अप्रैल) दोपहर 3.30 बजे तक एक अंतरिम रिपोर्ट सौंपें।
यह मामला तब सामने आया जब खबरें आईं कि सप्ताहांत में, 30 मार्च रविवार से शुरू होकर, वहां बड़ी संख्या में पेड़ काटे गए। छात्रों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने सरकार की कार्रवाई के खिलाफ प्रदर्शन किए, जिससे अदालत का ध्यान इस मामले की ओर गया।

जल्दीबाजी में पेड़ों को काटे जाने पर उठे सवाल
एक अमिकस क्यूरी (न्यायालय मित्र) ने सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि केंद्रीय सशक्त समिति (CEC) को इस क्षेत्र में भारी पेड़ कटाई की रिपोर्ट मिली है, जो आठ प्रकार के शेड्यूल्ड पशुओं का घर है। सुप्रीम कोर्ट ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा, ‘सप्ताहांत की लंबी छुट्टियों का फायदा उठाते हुए, अधिकारियों ने पेड़ काटने की जल्दी की।‘ कोर्ट ने यह भी कहा कि तेलंगाना सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि तब तक और कोई पेड़ न काटे जाएं जब तक कि वह आगे कोई आदेश न दे।

राज्य सरकार के वकील की दलील-केवल झाड़ियां हटाई गईं
तेलंगाना सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि वह उच्च न्यायालय में संबंधित मामले में व्यस्त थे। तेलंगाना के महाधिवक्ता ने आश्वासन दिया था कि इस अंतरिम अवधि में कोई और कार्रवाई नहीं की जाएगी। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि यहां कोई वन नहीं है। इस पर कोर्ट ने पूछा, क्या आप पेड़ नहीं काट रहे हैं?” राज्य के वकील ने जवाब दिया कि केवल झाड़ियाँ हटाई जा रही हैं। कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि वह उच्च न्यायालय में चल रही प्रक्रिया को स्थगित नहीं कर रहा है, लेकिन इसके निर्देशों को तुरंत संप्रेषित और पालन किया जाएगा।

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