सेंट्रल डेस्कः साल 2024 शेरो-शायरी के भी नाम रहा, लेकिन ये शायरियां, शायरों से अधिक राजनीतिक गलियारों में गूंजी। कुछ अपने प्रतिद्धंद्धियों को जवाब देने के लिए, तो कुछ माहौल को हंसनुमा बनाने के लिए। शायरी अब केवल मंच पर ही नहीं, सदन में भी बोली गई। साल 2024 की ऐसी ही कुछ शायरियां-
राजीव कुमार (चुनाव आयोग अध्यक्ष)
चुनाव आयोग (CEC) के प्रमुख राजीव कुमार ने राजनीतिक दलों से अभियान के दौरान व्यक्तिगत हमलों से बचने और मर्यादा बनाए रखने का अनुरोध करते हुए मशहूर उर्दू शायर बशीर बद्र का ये शेर पढ़ा, “दुश्मनी जमकर करो लेकिन ये गुंजाइश रहे, जब कभी हम दोस्त हो जाएं तो शर्मिंदा ना हो।” उन्होंने तेजी से गठबंधन बनाने और शत्रुता की प्रवृत्ति पर भी जोर दिया। अपने भाषण के अंत में राजीव कुमार ने ईवीएम में खामियां निकालने वालों पर निशाना साधते हुए कहा कि “अधूरी हसरतों का इल्जाम हर बार हम पर लगाना ठीक नहीं, वफ़ा खुद से नहीं होती ख़ता ईवीएम की कहते हैं।”

इमरान प्रतापगढ़ी
इंडियन नेशनल कांग्रेस के युवा राज्यसभा सांसद अपनी शेरो-शायरी से सदन में हमेशा सबका ध्यान आकर्षित करते है। उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ से आने वाले युवा सांसद महाराष्ट्र का प्रतिनिधित्व करते है, लेकिन दर्द फिलिस्तीन तक का बयां कर देते है। इमरान खान की सदन में शायरी इतनी है कि पूरी किताब लिख दी जाए। पीएम मोदी ने भी इनकी चर्चा अपने भाषणों में की है। हाल ही में लगे पॉपकॉर्न जीएसटी पर इमरान ने कहा कि “झील में पानी बरसता है हमारे देश में, खेत पानी को तरसता है हमारे देश में, जिंदगी का हाल खस्ता है हमारे देश में दूध महंगा खून सस्ता है हमारे देश में। इनका यह शेर खूब वायरल रहा।

देवेंद्र फडणवीस
महाराष्ट्र के वर्तमान मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस अकसर अपनी शायरी से ही शुरू करते है। 2024 में मिली प्रचंड जीत के बाद फडणवीस की पुरानी शायरी इस कदर वायरल हुई कि उनकी 5 साल पुरानी शायरी के लोग मुरीद हो गए। शायरी कुछ यूं थी कि “मेरा पानी उतरता देख मेरे किनारे पर घर मत बना लेना, मैं समंदर हूं, लौटकर वापस आऊंगा”। इस शायरी को लोगों ने बेहद पसंद किया और 2024 में मुख्यमंत्री के रूप में उनकी वापसी को महाराष्ट्र की जनता ने इस शायरी से जोड़ दिया।

सयानी घोष
पश्चिम बंगाल की जाधवपुर सीट से तृणमूल कांग्रेस की सांसद सयानी घोष जब सदन में अपना पक्ष रखती हैं, तो शुरूआत शायरी से होती है और फिर बात सरकार तक पहुंचती है। अगस्त में सयानी की एक स्पीच वायरल हुई, जिसमें उन्होंने सरकार को चाय से लेकर गाय और विकास तक पर सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि पत्ते तो झड़ते है, उठाता है कोई-कोई, वादे तो सभी करते हैं, निभाता है कोई-कोई। इस तरह के टू लाइनर से सयानी हर बार बाजी मार लेती है।

महुआ मोइत्रा
महुआ मोइत्रा टीएमसी की मुखर नेता हैं साथ ही वो पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर लोकसभा सीट से सांसद हैं। महुआ ने 2008 में राजनीति में उतरने के लिए प्राइवेट क्षेत्र की प्रसिद्ध कंपनी जेपी मॉर्गन के वायस प्रेसिडेंट पद से इस्तीफा दे दिया था। बीते दिनों उन्होंने सदन में लंबी-चौड़ी कविता पढ़ी, जिसका मकसद सरकार पर परोक्ष रूप से निशाना साधना था।
मुबारक घड़ी है, कल सज-धजकर,
मेकअप रचकर,खूब जंचकर,
देखूं उसका मंच पर आना,
किताब संविधान की आंखों से लगाना और फरमाना।
मैं शीष को झुकाकर और इस किताब को मन में बसाकर,
ईश्वर की शपथ लेता हूं..रात ढलने दीजिए, दिल बदलने दीजिए,
कल तलक तक ये बेवफा, सितमगरों का बादशाह, सब भूल जाएगा।
नफरतें उगाएगा, दूरियां बढ़ाएगा, रोज संविधान की धज्जियां उड़ाएगा, मगर
जो आज महफिल सजी है, यही मानती है कि हीरो वही है, मुबारक घड़ी है।
