जमशेदपुर : जुगसलाई थाने से जेल भेजे गए सैनिक सूरज राय को कोर्ट से जमानत मिल गई है। सूरज राय को मंगलवार को कोर्ट से जमानत मिली। उनके साथ मामले के सह आरोपी विजय को भी जमानत मिली है। जुगसलाई थाना पुलिस ने सैनिक सूरज राय और विजय को जेल भेजा था। सूरज राय और विजय कुमार की जमानत याचिका अधिवक्ता आनंद झा और अधिवक्ता प्रकाश झा ने डाली थी। बचाव पक्ष की तरफ से इन दोनों अधिवक्ताओं ने बहस की। सूरज राय के भाई ने सूरज राय की जमानत ली है। सूरज राय आज जेल से बाहर भी आ गए। जेल से बाहर आने के बाद सूरज राय सीधे सोनारी स्थित सेना के कैंप पहुंचे।
बुधवार को भरा जाएगा विजय का बेल बांड
वहीं, विजय कुमार का जमानत बांड बुधवार को भरा जाएगा। कोर्ट ने शर्त लगाई है कि जमानतदार निकटतम रिश्तेदार होना चाहिए। विजय का कोई निकटतम रिश्तेदार नहीं था इसलिए उनका बेल बांड नहीं भरा जा सका अधिवक्ता प्रकाश झा ने बताया कि विजय का बेल बांड बुधवार को भरा जाएगा। सूरज राय और विजय कुमार की जमानत याचिका पर जमशेदपुर कोर्ट के प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी सुरेंद्र बेदिया की अदालत में बहस हुई। थाना पुलिस ने इन दोनों आरोपियों पर हत्या के प्रयास की धारा लगाई थी। अधिवक्ताओं ने बहस के दौरान कहा कि यह धारा गलत तरीके से लगाई गई है। बाद में कोर्ट ने पूर्व के एक फैसले को आधार बनाते हुए इस मामले में जमानत दी है। इस दौरान पुलिस की तरफ से अभियोजन पक्ष ने जमानत का विरोध किया। लेकिन, बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं की दलील को सुनने के बाद कोर्ट ने जमानत दी है।
जुगसलाई पुलिस ने भेजा था जेल
गौरतलब है कि सेना के जवान सूरज राय और उनके रिश्तेदार विजय कुमार को जुगसलाई थाना पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेजा था। इस मामले को लेकर पूर्व सैनिकों ने जुगसलाई थाना और डीसी ऑफिस के सामने प्रदर्शन भी किया था। इसके बाद डीजीपी ने मामले में जांच के आदेश भी दिए थे। डीजीपी सोमवार को जमशेदपुर आए थे। वह बागबेड़ा गए थे और वहां घटनास्थल पर जांच भी की गई थी। सूरज राय के परिजनों ने डीजीपी को बताया था कि जमशेदपुर पुलिस ने गलत तरीके से कार्रवाई की है। इस मामले में रांची से सेना के ब्रिगेडियर और अन्य अधिकारी भी सोमवार को जमशेदपुर आए थे और एसएसपी किशोर कौशल से मुलाकात की थी। मामले में जांच कर दोषी पुलिस कर्मियों पर कार्रवाई करने को भी कहा था। पूर्व सैनिकों का कहना है कि इस मामले में पुलिस ने नियमों का पालन नहीं किया। नियमानुसार सैनिक पर कार्रवाई करने से पहले उन्हें सेना की स्थानीय यूनिट और अधिकारियों को जानकारी देनी चाहिए थी।
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