नई दिल्ली: भारतीय शेयर बाजार में एक बार फिर अचानक आई बड़ी गिरावट ने निवेशकों को सकते में डाल दिया है। सप्ताह के दूसरे कारोबारी दिन मंगलवार को बाजार ने शुरुआत तो सकारात्मकता दिखाई, लेकिन दोपहर के बाद भारी गिरावट ने सबको हैरान कर दिया। दिन के पहले हिस्से में तेजी से निवेशक आशान्वित थे लेकिन जैसे ही समय बीतता गया, बाजार ने अपनी दिशा बदल दी और प्रमुख शेयरों में भारी गिरावट आई।
शुरुआती तेजी के बाद हुई गिरावट
मंगलवार को शेयर बाजार की शुरुआत तेज उछाल के साथ हुई थी। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) का प्रमुख इंडेक्स सेंसेक्स (Sensex) 79,600 के स्तर को पार करते हुए सकारात्मक दिशा में बढ़ता हुआ नजर आया। हालांकि, यह तेजी ज्यादा समय तक कायम नहीं रही। दोपहर 12 बजे के आस-पास सेंसेक्स में गिरावट का सिलसिला शुरू हो गया, और कुछ ही समय में 291 अंक की बढ़त से सेंसेक्स 520 अंक टूटकर 78,975 पर आ गया। इसके बाद भी गिरावट जारी रही, और करीब 1:30 बजे तक यह 703 अंक गिरकर 78,792 पर पहुंच गया।
निफ्टी इंडेक्टस में भी गिरावट
निफ्टी इंडेक्स भी इस गिरावट से बच नहीं पाया। शुरुआती दौर में निफ्टी ने 87 अंकों की बढ़त के साथ 24,228 के स्तर से कारोबार शुरू किया था, लेकिन धीरे-धीरे यह 23,994 तक गिर गया। लगभग सभी प्रमुख शेयरों में गिरावट देखने को मिली, जिससे निवेशकों में असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई।
बड़ी कंपनियों के शेयर हुए धड़ाम
शेयर बाजार में इस गिरावट का सबसे ज्यादा असर प्रमुख कंपनियों के शेयरों पर पड़ा। HDFC बैंक, टाटा मोटर्स, एशियन पेंट्स, और बजाज फाइनेंस जैसे बड़े शेयर ताश के पत्तों की तरह गिर गए। इनमें से Britannia के शेयर 4.95% गिरकर 5157 रुपये पर पहुंच गए। इसके अलावा HDFC बैंक के शेयर 2.49%, Bajaj Finance के शेयर 2.06%, Tata Motors के शेयर 2%, और Asian Paints के शेयर 1.68% गिरावट के साथ कारोबार करते नजर आए।
विशेषज्ञों ने जतायी चिंता
विशेषज्ञों के अनुसार, बाजार में इस उतार-चढ़ाव के पीछे कई कारक हैं। वे पहले ही इस प्रकार की उथल-पुथल की आशंका जता रहे थे। एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब तक विदेशी निवेश (Foreign Inflow) भारतीय बाजार में वापस नहीं आता, तब तक बाजार में दबाव बना रहेगा। उन्होंने यह भी माना कि अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद उनकी नीतियों का असर भारतीय बाजार पर पड़ सकता है। इन नीतियों के आने से वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता और बाजार में दबाव बढ़ सकता है।
अनिश्चितता और जोखिम को लेकर संदेह
इसके अलावा, घरेलू स्तर पर भी कुछ चिंताएं हैं, जिनका असर बाजार पर पड़ रहा है। निवेशकों के मन में अनिश्चितता और बाजार के साथ जोखिम को लेकर संदेह बना हुआ है। शेयर बाजार में इस तरह के उतार-चढ़ाव निवेशकों के लिए एक संकेत हो सकते हैं कि उन्हें अपनी निवेश रणनीतियों पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता हो सकती है।
कुछ ऐसा लगाया जा रहा पूर्वानुमान
शेयर बाजार में आने वाली इस उतार-चढ़ाव की स्थिति को लेकर विशेषज्ञों का कहना है कि अगर भारतीय बाजारों में विदेशी निवेश का प्रवाह फिर से शुरू नहीं होता, तो बाजार में दबाव और गिरावट का सिलसिला जारी रह सकता है। साथ ही, अमेरिकी बाजार की स्थिति और वैश्विक आर्थिक बदलाव भी भारतीय बाजारों को प्रभावित कर सकते हैं।
निवेशकों के लिए विशेषज्ञों की सलाह
वर्तमान हालात को देखते हुए विशेषज्ञों की ओर से निवेशकों को सलाह दी जा रही है कि वे बाजार की अनिश्चितताओं को ध्यान में रखते हुए निवेश निर्णय लें और लंबी अवधि के निवेश के लिए बाजार के उतार-चढ़ाव को नजरअंदाज करते हुए अपनी रणनीति बनाए रखें। शेयर बाजार में अचानक आई गिरावट ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वैश्विक और घरेलू आर्थिक कारकों का असर भारतीय बाजारों पर पड़ सकता है। निवेशकों को इस समय सतर्क रहकर ही निर्णय लेना चाहिए और बाजार के उतार-चढ़ाव से घबराने के बजाय सही समय पर अपने निवेश को पुनर्संयोजित करने की आवश्यकता है।
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