सेंट्रल डेस्कः देश भर में कई जगहों पर मंदिर-मस्जिद को लेकर चल रहे विवादों के बीच राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। भागवत महाराष्ट्र के पुणे में ‘विश्वगुरु भारत’ विषय पर लेक्चर देने पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने कहा कि राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ लोगों को ऐसा लग रहा है कि वो ऐसे मुद्दे उठाकर हिंदुओं के नेता बन जाएंगे।
पिछली गलतियों से सीख लें
इस दौरान उन्होंने कहा कि भारत में कोई अल्पसंख्यक या बहुसंख्यक नहीं है। उन्होंने एक समावेशी समाज की कल्पना करते हुए कहा कि भारतीयों को पिछली गलतियों से सीख लेनी चाहिए और अपने देश को दुनिया के लिए एक आदर्श बनाने का प्रयास करना चाहिए। ये दिखाना चाहिए कि विवादों से बचकर एक समावेशी समाज का अभ्यास किया जा सकता है। राम मंदिर का निर्माण इसलिए किया गया, क्योंकि ये हिंदुओं के लिए आस्था का विषय है।
भारत को ये दिखाने की जरूरत है कि हम एक साथ है
बिना किसी व्यक्ति या स्थान का नाम लिए भागवत ने कहा कि नफरत और दुश्मनी से कुछ नए स्थलों के बारे में ऐसे मुद्दे उठाना स्वीकार्य नहीं है। हर दिन नया मामला उठाया जा रहा है। इसकी इजाजत कैसे दी जा सकती है। भारत को ये दिखाने की जरूरत है कि हम एक साथ रह सकते हैं। समाज में टकराव को कम करने के लिए प्राचीन संस्कृति की ओर लौटना होगा। अतिवाद, आक्रामकता, बल प्रयोग और दूसरों के देवताओं का अपमान करना हमारी संस्कृति नहीं है। हम सभी एक हैं।
अलगाववाद की भावना से ही पाकिस्तान बना
पुणे में अपने वक्तव्य में मोहन भागवत ने कहा कि बाहर से आए कुछ पुराने समूह अपने साथ कट्टरता लेकर आए थे। वो अपना पुराना शासन वापस पाना चाहते हैं, लेकिन अब देश संविधान से चलता है। लोग अपना नेता चुनते हैं और वो सरकार चलाते हैं। भागवत ने बताया कि ब्रिटिश भारत में ये तय हुआ था कि राम मंदिर हिंदुओं को दिया जाएगा, लेकिन अंग्रेजों को इसकी जानकारी हो गई और उन्होंने दोनों पक्षों के बीच दरार पैदा कर दी। इसी के बाद अलगाववाद की भावना जगी और पाकिस्तान बना।
अपनी-अपनी पूजा पद्धति का पालन करें
भारतीय परंपरा का बखान करते हुए भागवत ने कहा कि अगर हम सब खुद को भारतीय मानते हैं तो वर्चस्व की भाषा का उपयोग क्यों कर रहे हैं। यहां कौन अल्पसंख्यक है और कौन बहुसंख्यक? यहां सभी एकसमान हैं। उन्होंने बताया कि भारत की परंपरा है कि यहां सभी अपनी-अपनी पूजा पद्धति का पालन कर सकते हैं। बस जरूरी है कि सब अच्छी भावना के साथ रहें और कानून का पालन करें।