लिट्टीपाड़ा (पाकुड़) : जिले की लिट्टीपाड़ा विधानसभा सीट झारखंड की राजनीति का केंद्र बनी हुई है। पिछले 44 सालों से झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) इस सीट पर अपराजेय रही है। 1980 में झामुमो ने पहली बार यहां जीत दर्ज की थी, और तब से अब तक भाजपा इस किले को भेद नहीं पाई है। इस क्षेत्र में झामुमो और भाजपा के बीच सीधा मुकाबला होता है। 2019 के चुनाव में भाजपा ने अपने दिग्गज नेताओं को प्रचार के लिए उतारा, लेकिन इसके बावजूद जीत झामुमो की झोली में ही गई।
चुनावी मुकाबले में उलटफेर की तैयारी
इस बार लिट्टीपाड़ा में समीकरण पूरी तरह बदल चुके हैं। झामुमो ने अपने पुराने चेहरे दिनेश मरांडी की जगह भाजपा से आए हेमलाल मुर्मू को टिकट दिया है। दूसरी ओर, दिनेश मरांडी, जो दिवंगत साइमन मरांडी के बेटे हैं, अब भाजपा के प्रत्याशी के रूप में मैदान में हैं। इनके अलावा भाजपा ने एक और दावेदार, पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष बाबुधन मुर्मू को भी उतारा है।
साइमन मरांडी परिवार की चार दशक की पकड़
लिट्टीपाड़ा विधानसभा सीट पर चार दशकों तक साइमन मरांडी और उनके परिवार का दबदबा रहा है।
साइमन मरांडी: पांच बार विधायक बने।
सुशीला हांसदा: चार बार विधायक रहीं।
दिनेश विलियम मरांडी: 2019 में विधायक बने।
हालांकि, इस लंबे राजनीतिक शासन के बावजूद क्षेत्र में विकास की कमी के चलते अब लोगों में असंतोष है।
बगावत और आक्रोश
झामुमो द्वारा टिकट कटने के बाद दिनेश मरांडी ने भाजपा का दामन थाम लिया। उनके समर्थकों में नाराजगी है, लेकिन क्षेत्र में यह चर्चा भी है कि एक ही परिवार ने चार दशक तक सत्ता में रहते हुए विकास के लिए कुछ खास नहीं किया।
क्या बदलेगा इतिहास?
अब चर्चा है कि इस बार झामुमो ने हेमलाल मुर्मू पर दांव खेला है, जो पहले भाजपा के नेता थे। वहीं, भाजपा दिनेश मरांडी और बाबुधन मुर्मू के जरिए अपनी स्थिति मजबूत करने की कोशिश कर रही है। इस नई रणनीति से चुनावी नतीजे दिलचस्प हो सकते हैं।
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