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26/11 मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया में जुटे NIA के तीन अधिकारी, जिन्होंने निभाई अहम भूमिका

तहव्वुर हुसैन राणा पर आरोप है कि उसने सह-साजिशकर्ता डेविड कोलमैन हेडली की मदद की थी, जो मुंबई में हमले के लिए लक्ष्यों की टोह ले रहा था।

by Reeta Rai Sagar
Tahawwur-Rana
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नई दिल्ली: 26/11 मुंबई आतंकी हमले के मुख्य आरोपियों में से एक तहव्वुर हुसैन राणा को अमेरिका से भारत लाने की प्रक्रिया तेज हो गई है। इस महत्वपूर्ण प्रत्यर्पण प्रक्रिया की अगुवाई राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के तीन वरिष्ठ अधिकारी, आशीष बत्रा, जया रॉय और प्रभात कुमार कर रहे हैं।

तहव्वुर हुसैन राणा पर आरोप है कि उसने सह-साजिशकर्ता डेविड कोलमैन हेडली की मदद की थी, जो मुंबई में हमले के लिए लक्ष्यों की टोह ले रहा था। साथ ही, उस पर नेशनल डिफेंस कॉलेज (NDC) और चाबाद हाउस जैसे महत्वपूर्ण ठिकानों पर हमलों की योजना बनाने का भी आरोप है।

NIA अधिकारी अशीष बत्रा की भूमिका
आशीष बत्रा 1997 बैच के झारखंड कैडर के भारतीय पुलिस सेवा (IPS) अधिकारी हैं और वर्तमान में NIA में महानिरीक्षक (IG) के पद पर तैनात हैं। उन्हें 2019 में एजेंसी में पांच साल की अवधि के लिए प्रतिनियुक्त किया गया था, जिसे गृह मंत्रालय ने बढ़ाकर 15 सितंबर 2024 तक कर दिया है।

NIA में शामिल होने से पहले आशीष बत्रा झारखंड जैगुआर (Jharkhand Jaguar) के IG थे, जो एक एंटी-इंसर्जेंसी यूनिट है। उन्होंने 20 जनवरी 2018 से इस भूमिका में कार्य किया। इसके अलावा, वे झारखंड पुलिस के प्रवक्ता भी रहे हैं और IG अभियान की अतिरिक्त जिम्मेदारी भी निभाई है।

अपने करियर में उन्होंने कई महत्वपूर्ण परिचालन और प्रशासनिक भूमिकाएं निभाई हैं। उन्होंने जहानाबाद में सहायक पुलिस अधीक्षक के रूप में सेवाएं दी है। कोयल कारो और हजारीबाग के पुलिस अधीक्षक रहे। साथ ही रांची के सिटी SP के तौर पर 19 महीने काम किया। वे राज्यपाल की सुरक्षा ड्यूटी में भी डेढ़ साल तक तैनात रहे।

NIA की डिप्टी IG जया रॉय की अहम भूमिका
जया रॉय 2011 बैच की IPS अधिकारी हैं और वर्तमान में NIA में उप महानिरीक्षक (DIG) के पद पर कार्यरत हैं। उन्हें 2019 में चार साल की अवधि के लिए SP के रूप में प्रतिनियुक्त किया गया था, जिसे अब बढ़ा दिया गया है।

जया रॉय को सबसे अधिक पहचान उस समय मिली जब उन्होंने झारखंड के जामताड़ा में साइबर अपराधियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की। इस मामले पर आधारित एक प्रमुख वेब सीरीज़ भी बनाई गई है, जिससे उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली।

उनकी नेतृत्व क्षमता और साइबर अपराध के खिलाफ कड़ी कार्रवाई ने NIA में उनकी भूमिका को और भी महत्वपूर्ण बना दिया है, विशेष रूप से ऐसे मामलों में जो राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हुए हैं।

छत्तीसगढ़ कैडर के 2019 बैच के आईपीएस हैं प्रभात कुमार
तीसरे अधिकारी प्रभात कुमार हैं, जो छत्तीसगढ़ कैडर के 2019 बैच के आईपीएस हैं। एनआईए में सुपरिंटेंडेंट ऑफ पुलिस (एसपी) के तौर पर कार्यरत प्रभात ने अमेरिका में टीम के साथ काम किया और भारत में राणा के आगमन की तैयारियों को संभाला। वे दिल्ली हवाई अड्डे से एनआईए मुख्यालय तक पूरे ऑपरेशन के कोऑर्डिनेटर भी है।

26/11 हमले से जुड़ी साजिश में राणा की भूमिका
तहव्वुर हुसैन राणा पर आरोप है कि उसने आतंकवादी डेविड कोलमैन हेडली के साथ मिलकर मुंबई हमलों की साजिश रची। हेडली ने भारत में आतंकी हमले के लक्ष्यों की रेकी की थी, जिसमें ताज होटल, ट्राइडेंट, चाबाद हाउस और अन्य प्रमुख स्थान शामिल थे।

राणा ने कथित तौर पर अमेरिका में एक फर्जी कंपनी के जरिए हेडली की भारत यात्रा को वैध बनाने में मदद की, जिससे वह आसानी से देश में प्रवेश कर सके और टोह ले सके। अब भारत सरकार उसके प्रत्यर्पण की प्रक्रिया में जुटी है और NIA इसे प्राथमिकता के आधार पर देख रही है।

तहव्वुर हुसैन राणा के प्रत्यर्पण से 26/11 हमले की जांच को नई दिशा मिल सकती है। NIA के वरिष्ठ अधिकारी आशीष बत्रा और जया रॉय इस मामले में अहम भूमिका निभा रहे हैं। यह प्रत्यर्पण भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और आतंकवाद के खिलाफ उसकी ज़ीरो टॉलरेंस नीति का प्रतीक है।

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