- मानसिक रूप से बीमार है पीड़िता, काले खां में मिली थी खून से लथपथ
- नौसेना के अधिकारी की शिकायत पर पहुंची पुलिस ने भर्ती कराया था एम्स में
- मामले की जांच करती हुई पुलिस टीम ने 700 से अधिक सीसीटीवी फुटेज खंगालने के बाद तीनों आरोपी को किया गिरफ्तार
- मई माह में घर से भाग कर आ गई थी दिल्ली
नई दिल्ली, दिल्ली में गत माह इंसानियत को शर्मसार करे वाली एक घटना को तीन लोगों ने अंजाम दिया था, जिसमें एक मानसिक रूप से बीमार लड़की के साथ एक ऑटो चालक ने भिखारी और दुकानदार के साथ मिलकर राजघाट के पास गांधी स्मृति वाली सर्विस रोड पर गैंग रेप किया था। फिर उसे खून से लथपथ हालत में सराय काले खां में ऑटो से फेंक कर फरार हो गए थे। जहां एक नौसेना के अधिकारी ने उसे देखकर पुलिस को सूचना दी थी। पुलिस ने उसे इलाज के लिए एम्स अस्पताल और फिर वहां के मनोचिकित्सा विभाग में भर्ती कराया था।
वहीं एएटीएस दक्षिण पूर्व जिले की टीम ने इस मामले में जांच करती हुए इस ब्लाइंड केस को 21 दिनों की जांच के बाद न सिर्फ सभी तीनों आरोपियों की पहचान कर ली, बल्कि उन्हें गिरफ्तार भी कर लिया। पीड़िता सामाजिक कार्य में न सिर्फ मास्टर डिग्री प्राप्त है, बल्कि उसे सामाजिक क्षेत्र में कार्य करने का कई सालों का अनुभव भी है। पर मानसिक रूप से बीमार होने के बाद वह मई माह में उड़ीसा का अपना घर छोड़ कर दिल्ली आ गई थी। यहां वेगा बॉन्ड की तरह रह रही थी। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान 28 वर्षीय ऑटो चालक प्रभु महतो , 40 वर्षीय कबाड़ी दुकानदार प्रमोद उर्फ बाबू और भिखारी मोहम्मद शमसुल उर्फ राजू के रूप में हुई है।
डीसीपी रवि कुमार सिंह ने बताया कि 10-11 अक्टूबर तड़के 3.15 बजे सनलाइट कॉलोनी पुलिस के पीसीआर कॉल प्राप्त हुई। कॉल करने वाले ने बताया कि सराय काले खां के इलाके में एक लड़की खून से लथपथ स्थिति में है। कॉलर ने चिंता व्यक्त करते हुए कहा लड़की को चोट लग सकती है या उसके साथ गलत हमला किया जा सकता है।
पुलिस कर्मचारी तुरंत उस स्थान पर पहुंचे जहां पीड़िता नाजुक अवस्था में मिली थी और उसे तुरंत मेडिकल जांच और देखभाल के लिए एम्स ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया। जहां पीड़िता ने उपस्थित चिकित्सक को बताया कि उसके साथ तीन अज्ञात व्यक्तियों ने रेप किया था। हालांकि, इस प्रारंभिक बयान के बाद, पीड़िता अपनी मानसिक बीमारी के कारण जांच या अस्पताल के कर्मचारियों के साथ आगे सहयोग नहीं कर सकी। पीड़िता को बयान देने के लिए अयोग्य पाया गया। पर पुलिस ने उसे गंभीरता से लेते हुए जांच शुरू की।
सबसे पहले महिला सिपाही संगीता पीड़िता से सोशल वर्कर बनकर मिली। सिपाही से बात करते हुए पीड़िता ने अपने साथ हुई दरिंदगी बयां की। इसके बाद जिला एएटीएस इंस्पेक्टर राजेंद्र सिंह के नेतृत्व में एसआई शुभम चौधरी, जीतेंद्र, विनोद , राजबीर सिंह, रूप सिंह, एएसआई सुलेमुद्दीन , शरवन ,धीर सिंह, एचसी महोबा, राजेश ,नीरज और सीटी देबानंद की टीम ने जांच शुरू कर दी थी।
पीड़िता की पहचान के बाद पता चला कि वह उड़ीसा के पुरी की रहने वाली हैं। वह निम्न मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती है। पीड़िता एक समर्पित शोधकर्ता, सूत्रधार और सामुदायिक नेता है, जिसे सामाजिक क्षेत्र में आठ वर्षों से अधिक का अनुभव है।
उत्कल संस्कृति विश्वविद्यालय, भुवनेश्वर से सामाजिक कार्य में मास्टर डिग्री प्राप्त करने के बाद, उसने विभिन्न विकास संगठनों में सक्रिय रूप से योगदान दिया है। वह कलिंगा नेटवर्क फॉर लिविंग विद एचआईवी/एड्स में रिसर्च फेलो, वूमेन पावर फॉर सैनिटेशन अवेयरनेस में सामुदायिक नेता और वन स्टॉप सेंटर, पुरी, ओडिशा में काउंसलर के रूप में भी काम कर चुकी है।
वह 9 मई 2024 को अपने परिवार को बताए बिना दिल्ली चली गई थी और इस संबंध में उसके माता-पिता ने 9 जून 2024 को पुलिस स्टेशन कुंभारपाड़ा, पुरी, ओडिशा में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। दिल्ली में उसने अपनी एक परिचित के पास अस्थायी आश्रय मांगा और कहा कि उसे दो महीने के लिए रहने के लिए जगह चाहिए क्योंकि उसे हाल ही में दिल्ली में बैंक की नौकरी मिली है।
हालांकि, अपने प्रवास के दौरान, पीड़िता ने असामान्य व्यवहार शुरू कर दिया। सुश्री ए द्वारा सूचित किए जाने पर, पी.एस. किशनगढ़ के स्टाफ ने पीड़िता के परिवार को सूचित किया, लेकिन उसने अपने परिवार के साथ उड़ीसा वापस जाने से इनकार कर दिया और सुश्री ए के साथ अपना अस्थायी प्रवास भी समाप्त कर दिया। इसके बाद उसने बस स्टॉप, रेलवे स्टेशन और फुटओवर ब्रिज जैसे सार्वजनिक स्थानों पर अस्थायी आश्रय लिया और अपने परिवार से सभी संपर्क तोड़ दिए।
21 दिन, 700 सीसीटीवी फुटेज और डेढ़ सौ से अधिक ऑटो की जांच
डीसीपी ने बताया कि जांच ने ने 21 दिन की कड़ी मशक्कत के बाद तीनों आरोपियों की पहचान कर एक एक कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया। इस दौरान टीम ने पीड़िता द्वारा बताए गए करीब 10 किलोमीटर के दायरे में सघन जांच की, जिसमें पूरे एरिया में लगे 700 से अधिक सीसीटीवी फुटेज को खंगाला।
साथ ही करीब 150 से अधिक ऑटो-रिक्शा का सत्यापन किया गया। आखिरकार 30 अक्तूबर को ऑटो रिक्शा की पहचान कर पुलिस टीम ने पहले प्रभु महतो को और फिर अगले चार दिनों में अन्य दोनों आरोपियों को दबोच लिया। ऑटो चालक प्रभु, कबाड़ी की दुकान पर काम करने वाला प्रमोद और शमशुल लकड़ा को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने पीड़िता की खून से सनी सलवार गांधी स्मृति वाले सर्विस रोड से बरामद कर ली है। आरोपी का ऑटो भी बरामद कर लिया गया है।