Similipal Tiger reserve (STR) में बाघों के जीन पूल में सुधार लाने की परियोजना के तहत महाराष्ट्र के ताडोबा-अंधारी के टाइगर रिजर्व से ओडिशा के सिमिलिपाल टाइगर रिजर्व में स्थानांतरित किया गया था। अब खबर है कि यह बाघिन, जिसका नाम जीनत है, नए क्षेत्र की तलाश में या भटक कर 8 दिसंबर 2024 को झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिला अंतर्गत चाकुलिया वन क्षेत्र में चली गई है।
रोडियो कॉलर से की जा रही निगरानी
तीन साल की बाघिन को 10 दिनों तक कोर एरिया के भीतर एक बाड़े में रखा गया था। उसके बाद 24 नवंबर को सिमिलिपाल के कोर एरिया में छोड़ दिया गया था। वरिष्ठ वन अधिकारियों का कहना है कि वे बाघिन की गर्दन के चारों ओर लगे रेडियो कॉलर के माध्यम से उसकी गतिविधि और बिहेवियर पैटर्न की लगातार निगरानी कर रहे हैं। 8 दिसंबर की शाम से ओडिशा के वन पदाधिकारी चाकुलिया में उसे खोज रहे हैं। इसमें चाकुलिया वन क्षेत्र के पदाधिकारी भी मदद कर रहे हैं।
बाघिन जीनत को वापस लाने की हो रही तैयारी
सिमिलिपाल के फील्ड डायरेक्टर प्रकाश चंद गोगिनेनी ने बताया कि हम सैटेलाइट के जरिए और अपने फील्ड स्टाफ की मदद से लगातार इसकी मूवमेंट पर नजर रख हुए हैं। ओडिशा के प्रधान मुख्य वन संरक्षक पीके झा ने कहा कि वे बाघिन को सिमिलिपाल वापस भगाने के लिए झारखंड सरकार और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के अधिकारियों के लगातार संपर्क में हैं।
अक्टूबर में भी लाया गया था जमुना को
बाघिन जीनत के अलावा ताडोबा-अंधारी बाघ अभयारण्य की एक अन्य बाघिन जमुना को भी अक्टूबर में सिमिलिपाल या सिमलीपाल वन अभ्यारण्य में ट्रांसफर किया गया था और कोर क्षेत्र में छोड़ दिया गया था। वन अधिकारियों के अनुसार, जमुना का स्वास्थ्य अच्छा है और वह सिमिलिपाल इलाकों में बसने की कोशिश कर रही है।
क्या है उद्दयेश्य इस स्थानांतरण परियोजना का
बता दें कि ओडिशा सरकार द्वारा स्थानांतरण परियोजना बाघों के जीन पूल में सुधार, लिंग अनुपात में सुधार और एसटीआर के अंदर बाघों के बीच प्रजनन की जांच करने के प्रयासों का हिस्सा है, जो मयूरभंज जिले में 2,750 वर्ग किमी में फैले शाही बंगाल टाइगर के लिए देश का एकमात्र वाइल्ड निवास स्थान है।
एसटीआर में बड़ी बिल्लियां (यानि कैट फैमिली के अन्य सदस्य) अन्य बाघों से अलग रहती हैं, जिसके कारण वे आपस में प्रजनन कर सकें। राज्य सरकार को आशंका है कि अलगाव के कारण एसटीआर में बाघों की आबादी गिर सकती है। इसलिए, जीन पूल में सुधार के जरिए प्रयास किए जा रहे हैं।