Tirupati Laddu Row: वेंकटेशवर स्वामी के मंदिर तिरुपति बाला जी में लड्डू का मामला एक नया मोड़ ले आया है। बालाजी मंदिर में प्रसाद स्वरुप जो लड्डू भक्तों को दी जाती है, उसमें फिश ऑयल, लार्ड औऱ बीफ टैलो (Fish oil, lard and beef tallow) पाए जाने की खबर है। दरअसल TDP के नेता और वर्तमान मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने YSRCP के नेता जगन मोहन रेड्डी की सरकार पर आरोप लगाया था कि उनके सरकारी राज में तिरुपति में बनाए जा रहे लड्डूओं में निम्न स्तर की सामग्री का इस्तेमाल किया जाता था।
इस बात की पुष्टि तब हुई, जब लैब रिपोर्ट सामने आई। रिपोर्ट में साफ-साफ शब्दों में इस बात की पुष्टि की गई है। रिपोर्ट के अनुसार, 8 जुलाई को लड्डू में इस्तेमाल होने वाले घी का सैंपल जांच के लिए भेजा गया था, जिसकी रिपोर्ट 17 जुलाई को आई।
TDP ने दावा किया है कि सैंपल की जांच गुजरात के Centre for analysis and learning in livestock and food (CALF) लैब में हुई है। टीडीपी के प्रवक्ता अन्नम वेंकट ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा प्रमाणित लैब में इसकी जांच हुई है। यह लैब National Dairy Development board (NDDB) द्वारा संचालित की जाती है।

रिपोर्ट्स की मानें तो घी के सैंपल में गो मांस की चर्बी, सुअर के वसा ऊतक औऱ मछली के तेल के अलावा सोयाबीन, सनफ्लावर, ऑलिव, व्हीट जर्म, कॉर्न, कॉटनसीड और पाम ऑयल पाए गए है। अर्थात् इस घी में घी के अलावा सारी चीजें मौजूद है। यह सबूत है कि टीटीडी ने घी की खरीदारी के दौरान किसी भी गुणवत्ता मानक का ख्याल नहीं रखा है।
आगे कहा गया है कि शुद्ध घी की कीमत 1000 रुपए प्रति किलो है, जब कि मंदिर ट्रस्ट द्वारा इस्तेमाल में लाने वाले घी की कीमत 320 रुपए प्रति किलो है। क्या ऐसा हो सकता है? 15000 किलो घी का टेंडर रिश्वतखोरी के लिए दिया गया था। तिरुपति देवस्थानम देश के सबसे अमीर मंदिरों की श्रेणी में आता है। ऐसे में क्या वे 75 लाख की लैब स्थापित नहीं कर सकते थे?
तिरुपति के लड्डूओं से कई बार बदबू की खबरें भी आई। तब उन्होने घी के सप्लायर को बदल दिया। TTD (Tirupati Tirumala Devasthanam) ने कर्नाटक मिल्क फेडरेशन (KMF) से नंदिनी घी का इस्तेमाल बंद कर दिया था। KMF का कहना है कि हमने बीते 4 वर्षों से मंदिर में घी की सप्लाई बंद कर दी है।
TDP इस मामले को विधानसभा में उठाने वाली है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने अपनी प्रतिद्वंद्वी पार्टी पर आरोप लगाया है कि तिरुपति मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी मिलाई जाती है। उनका दावा है कि जगन मोहन रेड्डी की सरकार के कार्यकाल में मंदिर के प्रसाद में घी की जगह जानवरों का वसा (Fat) मिलाया जाता था।
इस पर जगन मोहन रेड्डी की सरकार ने प्रूफ करने औऱ सबूत लाने की बात कही थी। उनका कहना था कि टीडीपी देश को वास्तविक मुद्दों से भटकाने के लिए ऐसे इल्जाम लगा रही है। दुनिया के सबसे धनी मंदिर को चलाने वाले ट्रस्ट के डेयरी विशेषज्ञ ने बताया कि “श्रीवरी लड्डू” का स्वाद घी की गुणवता पर ही निर्भर करता है।
TTD के पास लैब नहीं है। बीते कुछ समय से मैसूर के एक प्रशिक्षण संस्थान में कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। टीडीपी की सरकार के बाद से दोबारा अब कर्नाटक मिल्क फेडरेशन ने घी की सप्लाई शुरु कर दी है। इसकी देखरेख के लिए 4 सदस्यीय कमिटी बनाई गई है। जिसमें डॉ सुरेंद्रनाथ, डॉ विजय भास्कर रेड्डी, स्वर्णलता और डॉ महादेवन को शामिल किया गया है।
गौरतलब है कि तिरुपति बालाजी का मंदिर तिरुपति देवस्थानम् ट्रस्ट द्वारा संचालित किया जाता है, जिसमें सरकारी अधिकारी भी होते है। चंद्रबाबू नायडू के इस दावे के बाद से आंध्र प्रदेश की राजनीति में उबाल आ गया है। वेकंटेश्वर स्वामी के मंदिर में आने वाले करोड़ों भक्तों को यह लड्डू प्रसाद के रुप में वितरित किया जाता था। इस खुलासे के बाद से ही करोड़ों भक्तों की आस्था को ठेस पहुंची है। भक्तों का कहना है कि दोषियों को नहीं छोड़ा जाना चाहिए।