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ट्रंप और हैरिस के बीच कांटे की टक्कर, कौन से स्विंग स्टेट किसे दिलाएंगे जीत, जानिए जीत के बाद क्या…

इसके बाद ऑफिशियली 6 जनवरी को नई अमेरिकी कांग्रेस की बैठक होगी, जहां प्रेसीडेंट के नाम की घोषणा होगी और 20 जनवरी को शपथ ग्रहण किया जाएगा।

by Reeta Rai Sagar
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US Election 2024: 5 नवंबर को अमेरिकी राष्ट्रपति पद के लिए चुनाव संपन्न हो गए। आज 6 नवंबर को वोटों की गिनती भी शुरू हो चुकी है। अमेरिका के राष्ट्रपति की कुर्सी पर बैठने के लिए कुल 538 सीटों में से 270 सीटों पर जीत हासिल करना जरूरी है। अब तक की खबरों के मुताबिक शुरुआती रुझान में रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप आगे चल रहे हैं।

अब तक कौन आगे
डोनाल्ड को अब तक 267 इलेक्टोरल वोट मिले हैं, जबकि डेमोक्रेटिक पार्टी की उम्मीदवार कमला हैरिस को 224 इलेक्टोरल वोट मिले हैं। वेस्ट वर्जीनिया, इंडियाना और कैंटकी जैसी जगहों पर डोनाल्ड ट्रंप की मजबूत पकड़ देखी जा रही है और यहीं से उन्हें जीत भी मिल रही है।

स्विंग स्टेट तय करते हैं कुर्सी के दावेदार

वहीं कमला हैरिस को वरमोंट और इलिनोइस जैसे राज्यों से समर्थन मिल रहा है। 2024 के अमेरिकी चुनाव में 7 ऐसे राज्य हैं, जो इस चुनाव की दशा बदल सकते हैं। इन राज्यों को स्विंग स्टेट्स कहा जाता है। कहते हैं कि यही 7 राज्य अमेरिका के प्रेसीडेंट की कुर्सी पर कौन बैठेगा, यह तय करते हैं। ये स्टेट्स हैं- एरिजोना, जॉर्जिया, मिशिगन, पेन्सिलवेनिया, विस्कोन्सिन, नेवाडा और मिनेसोटा।

अदालत जा सकता है प्रेसीडेंसी का मामला

अमेरिकी समाचार पत्रों के अनुसार, कमला हैरिस और डोनाल्ड ट्रंप के बीच कड़ी टक्कर है। ऐसे में यदि किसी भी एक उम्मीदवार को स्पष्ट बहुमत नहीं मिलता है, तो मामला कोर्ट तक पहुंच सकता है। क्योंकि जिन सीटों पर वोट का मार्जिन कम होता है, वहां फैसला अदालत करती है। अगर मामला बहुत बड़ा हो जाता है, तो सुप्रीम कोर्ट को भी दखल देना पड़ सकता है।

साल 2000 में ऐसा देखने को मिला था कि फ्लोरिडा की सीट से किसी भी कैंडिडेट को स्पष्ट बहुमत नहीं मिला। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा, जहां कोर्ट ने फैसला रिपब्लिकन पार्टी के पक्ष में सुनाया।
2020 के राष्ट्रपति चुनाव में 306 वोटों से जीतकर जो बाइडेन अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे। बीते पांच चुनावों में से तीन में रिपबल्किन पार्टी ने ही जीत दर्ज की है। 2016 में रिप्बलिकन पार्टी को जीत मिली थी और डोनाल्ड 232 वोटों से जीतकर प्रेसीडेंट ऑफ अमेरिका बने थे।

क्या है पूरी प्रक्रिया

अमेरिका में जनता सीधे तौर पर राष्ट्रपति का चुनाव नहीं करती है। जनता पहले इलेक्टोरल्स को चुनती है, इन्हें इलेक्टोरल कॉलेज भी कहा जाता है। फिर ये इलेक्टोरल कॉलेज राष्ट्रपति का चुनाव करते हैं। हर राज्य में इलेक्टोरल कॉलेज की संख्या अळग-अलग होती है। अमेरिका में लगभग 50 राज्य हैं, जिनमें इलेक्टोरल कॉलेज में 538 इलेक्टोरल्स होते हैं औऱ 270 बहुमत का आंकड़ा होता है। सात राज्य, जिन्हें स्विंग स्टेट कहते हैं, ज्यादातर इनके वोट ही तय करते हैं कि प्रेसीडेंट की कुर्सी पर कौन होगा।

क्या रहा है चुनावी मुद्दा

इन सात राज्यों में अर्थव्यवस्था सबसे बड़ा मसला है। सभी सर्वे में इन राज्य के लोगों ने रोजगार और अच्छी अर्थव्यवस्था का जिक्र किया है। इसके अलावा एबॉर्शन एक और बड़ा और अहम मुद्दा है, जिसकी चर्चा खासकर विस्कॉनसिन में हुई। इसके लिए कमला हैरिस ने वादा किया था कि वे एबॉर्शन को लीगल कर देंगी। तो कुछ हद तक वोट उनके पक्ष में जा सकते हैं। इसके अलावा इमिग्रेशन पालिसी भी बड़ा मुद्दा है, जिससे वहां के लगभग 48 लाख भारतीय सीधे जुड़े हैं। अन्य मुद्दों में इजरायल-हमास व लेबनान और रुस- यूक्रेन युद्ध और चीन की बढ़ती ताकत भी शामिल हैं, जिन पर ट्रंप और कमला के विचार अलग हैं।

क्या कहा आखिरी चुनावी सभा में

मिशिगन में अपने आखिरी चुनावी सभा में डोनाल्ड ट्रंप ने कहा था कि यदि आप कमला हैरिस को चुनते हैं, तो आपको औऱ 4 साल परेशान रहना पड़ेगा। जिससे आप कभी नहीं उबर पाएंगे। मैं आप सभी से प्यार करता हूं।

पेन्सिलवेनिया में अपने आकिरी चुनावी सभा में कमला ने कहा कि आप ही लोग इस चुनाव का परिणाम तय करेंगे। अपने दोस्त-परिवार सभी से बात करें और तय करें कि यह चुनाव आपके लिए क्यों जरूरी है। अपनी आवाज को बुलंद करें।

काउंटिंग के बाद क्या होगा

अगर किसी राज्य में वोट टाई हुआ, तो रिकाउंट किया जा सकता है। जैसा कि इस बार कांटे की टक्कर है, तो जानकारों का कहना है कि कुछ राज्यों में रिकाउंट हो सकता है। दूसरी ओर अगर ट्रंप जीतते हैं, तो बीते 130 सालों में एक बार हारकर जीतने वाले वो पहले राष्ट्रपति होंगे। अगर कमला हैरिस जीततीं हैं, तो वो अमेरिकी इतिहास की पहली महिला राष्ट्रपति बन जाएंगी। इसके लिए उन्हें पेन्सिलवेनिया और जॉर्जिया में जीतना होगा।

विशेषज्ञ कहते हैं कि ट्रंप हार मानने वालों में से नहीं है, वो अदालत का सहारा लेंगे और वोटों की पुनः गिनती करनी होगी। जैसा कि 2020 के चुनाव में हुआ था। इससे परिणाम आने में देरी होगी। इसके बाद ऑफिशियली 6 जनवरी को नई अमेरिकी कांग्रेस की बैठक होगी, जहां प्रेसीडेंट के नाम की घोषणा होगी और 20 जनवरी को शपथ ग्रहण किया जाएगा।

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