पलामू : झारखंड का एकमात्र टाइगर रिजर्व- पलामू टाइगर रिजर्व (PTR) और इसके अंतर्गत आने वाला बेतला नेशनल पार्क आगामी 1 जुलाई से 30 सितंबर तक पर्यटन गतिविधियों के लिए बंद रहेगा। यह निर्णय वन्य जीवों की सुरक्षा और प्रजनन काल को ध्यान में रखते हुए हर वर्ष की तरह इस बार भी लागू किया जा रहा है।
क्यों बंद होती हैं पर्यटन गतिविधियां?
जुलाई से सितंबर तक का समय मानसून सीजन होता है, जो बाघों और अन्य वन्य प्रजातियों के प्रजनन का प्रमुख समय माना जाता है। इस दौरान वन्य जीवों को शांति और सुरक्षित वातावरण की आवश्यकता होती है। पर्यटन गतिविधियों से उत्पन्न शोर और मानव हस्तक्षेप से प्रजनन चक्र बाधित हो सकता है, इसलिए इस दौरान पर्यटन पर पूर्ण रोक लगाई जाती है।
प्रजेशकांत जेना, उपनिदेशक, पीटीआर ने बताया कि वन्य जीवों की सुरक्षा और प्रजनन के लिहाज़ से यह समय अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। पर्यटन गतिविधियों को रोकने के साथ-साथ पेट्रोलिंग और निगरानी को भी बढ़ाया जाएगा।
मानसून में बढ़ती जोखिम और रास्तों की दुर्दशा
बारिश के मौसम में क्षेत्र की नदियां और नाले उफान पर रहते हैं, जिससे रास्ते क्षतिग्रस्त हो जाते हैं और पर्यटकों की सुरक्षा एक बड़ी चुनौती बन जाती है। ऐसे में किसी भी अप्रिय घटना से बचने और वन्य जीवों की रक्षा के लिए यह मौसमी बंदी अनिवार्य होती है।
1129 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में गश्ती और निगरानी
पलामू टाइगर रिजर्व का कुल क्षेत्रफल 1129 वर्ग किलोमीटर है। इस दौरान हर दिन गश्ती दल वन क्षेत्र में पैदल भ्रमण करेंगे और संवेदनशील क्षेत्रों में अतिरिक्त वनकर्मियों की तैनाती की जाएगी। यह गश्त बाघों और अन्य दुर्लभ जीवों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक है।
टाइगर मूवमेंट की रेंज
फिलहाल पीटीआर में 4 से 6 बाघों की उपस्थिति दर्ज की गई है, जो मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ से लेकर बंगाल के पुरुलिया तक आवागमन करते हैं। इस कारण इनके प्राकृतिक मूवमेंट को बाधित ना हो, इसके लिए विशेष सावधानी बरती जाती है।
हर वर्ष हजारों पर्यटक पहुंचते हैं बेतला नेशनल पार्क
बेतला नेशनल पार्क, जो पलामू टाइगर रिजर्व का हिस्सा है, में हर साल 40,000 से अधिक पर्यटक आते हैं। यह पार्क झारखंड के प्रमुख पर्यटन स्थलों में गिना जाता है। लेकिन 1 जुलाई से 30 सितंबर तक पार्क पूरी तरह बंद रहेगा और किसी भी प्रकार की पर्यटन गतिविधि पर पूर्ण रोक रहेगी।