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UAE में दो भारतीयों को हत्या के मामलों में दे दी गई फांसी, जानें क्या था मामला

भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर बताया कि सरकार ने इन दोनों की सजा को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किए थे। फांसी के बाद उनके परिवारों के लिए अंतिम संस्कार में भाग लेने के लिए व्यवस्था की गई।

by Rakesh Pandey
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तिरुवनंतपुरम: संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में दो भारतीय नागरिकों को हत्या के आरोप में फांसी की सजा दी गई है। ये दोनों केरल के निवासी मुरलीधरन और मुहम्मद रिनाश थे। इन दोनों को यूएई में अलग-अलग हत्याकांड में दोषी पाया गया था और फांसी की सजा दी गई। अधिकारियों ने 28 फरवरी को भारतीय दूतावास को इस संबंध में सूचना दी, जिसके बाद विदेश मंत्रालय ने उनके परिवारों को इस दुखद खबर से अवगत कराया।

विदेश मंत्रालय का बयान

भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर बताया कि सरकार ने इन दोनों की सजा को रोकने के लिए हर संभव प्रयास किए थे। मंत्रालय ने कहा कि उन्हें कानूनी सहायता मुहैया कराई गई और उनके परिवारों के लिए अंतिम संस्कार में भाग लेने के लिए व्यवस्था की गई थी। इस प्रक्रिया में रिनाश की मां और अन्य परिवार के सदस्य अबू धाबी गए थे ताकि वे अपने बेटे को दफनाने से पहले उसे एक आखिरी बार देख सकें।

मुहम्मद रिनाश का अपराध

केरल के कन्नूर जिले के थालास्सेरी के निवासी 29 वर्षीय मुहम्मद रिनाश को फरवरी 2023 में एक यूएई नागरिक की हत्या करने का दोषी ठहराया गया था। रिनाश तीन साल पहले रोजगार की उम्मीद के साथ दुबई गया था। रिपोर्ट के मुताबिक, रिनाश और यूएई के नागरिक जियाद राशिद अल मंसूरी के बीच किसी बात को लेकर बहस हो गई थी, जिसके बाद रिनाश ने मानसिक रूप से बीमार राशिद को चाकू घोंपकर हत्या कर दी।


रिनाश की मां का कहना है कि उनके बेटे का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था और वह कभी भी किसी अपराध में शामिल नहीं था। उन्होंने केरल के मुख्यमंत्री पी विजयन, स्थानीय सांसद और भारतीय दूतावास से हस्तक्षेप की अपील की थी, लेकिन वे अपने बेटे को बचाने में सफल नहीं हो पाईं। इसके बाद रिनाश को गिरफ्तार कर लिया गया और उसे दुबई की जेल में दो साल तक रखा गया।

मुरलीधरन को भारतीय नागरिक की हत्या का ठहराया गया दोषी

वहीं, कासरगोड के 43 वर्षीय मुरलीधरन को साथी भारतीय नागरिक मोइद्दीन की हत्या के आरोप में फांसी की सजा दी गई थी। मुरलीधरन ने कथित तौर पर डकैती के प्रयास के दौरान मोइद्दीन की हत्या की थी। मोइद्दीन के लापता होने के बाद उसके परिवार ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस की जांच में यह बात सामने आई कि मुरलीधरन ने मोइद्दीन का फोन इस्तेमाल किया था, जिससे पुलिस ने इस मामले की जांच शुरू की। बाद में यह पता चला कि मोइद्दीन की हत्या कर शव को रेगिस्तान में दफनाया गया था।
इस मामले में मुरलीधरन को गिरफ्तार किया गया और बाद में उसे मौत की सजा सुनाई गई। मोइद्दीन के परिवार ने भी न्याय की मांग की थी, जिसके बाद मुरलीधरन को सजा दी गई।

भारत सरकार का प्रयास

भारत सरकार ने दोनों के मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए लगातार प्रयास किए थे। विदेश मंत्रालय ने उन्हें कानूनी मदद और सभी आवश्यक सहायता प्रदान की थी, हालांकि इसके बावजूद यह दुखद घटनाएं घटित हुईं। अबू धाबी में अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में भी भारतीय दूतावास ने परिवारों को पूरा सहयोग प्रदान किया।

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