सेंट्रल डेस्क। UNESCO Network of Learning Cities: दुनिया भर के मुसलमानों के लिए पवित्र शहर समझे जाने जाने वाले सऊदी अरब के मदीना शहर को इंटरनेशनल लेवल पर एक और बड़ी पहचान मिली। हर साल लाखों की तादाद में दुनियाभर से मुसलमान यहां आते हैं, दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी मस्जिद ‘मस्जिदे नबवी’ भी यहीं मौजूद है।
यूं तो इस्लामी इतिहास के लिहाज से ये शहर अपनी अलग अहमियत रखता है। लेकिन अब इस शहर को इंटरनेशनल लेवल पर एक और पहचान मिल गई है। यूनेस्को ने मदीना को अपने ग्लोबल नेटवर्क ऑफ लर्निंग सिटीज में शामिल किया है।
UNESCO GNLC में शामिल किये गये 3 शहर
इस लिस्ट में इस साल सऊदी के तीन शहरों को शामिल किया गया है। मदीना के अलावा किंग अब्दुल्ला इकोनॉमिक सिटी और अल-अहसा को भी इस लिस्ट में भी शामिल किया गया है। ग्लोबल नेटवर्क ऑफ लर्निंग सिटीज में अब सऊदी अरब के 5 शहर हो चुके हैं। इससे पहले 2020 और 2022 में जुबैल इंडस्ट्रियल सिटी और यानबू इंडस्ट्रियल सिटी को शामिल किया गया था।
क्या है ग्लोबल नेटवर्क ऑफ़ लर्निंग सिटीज?
UN ने 2012 में ग्लोबल नेटवर्क ऑफ़ लर्निंग सिटीज़ की शुरुआत की थी। इस नेटवर्क का मकसद एजुकेशन पॉलिसीज पर चर्चा को बढ़ावा देने, शहरों और इंस्टिट्यूशन्स में लोकल और इंटरनेशनल भागीदारी को बढ़ाकर दुनिया भर में आजीवन में सुधार करना है। UNESCO के इस नेटवर्क की खासियत एजुकेशन, स्किल, कम्यूनिटी, एम्प्लॉयर और पब्लिक सेक्टर के बीच संबंध बनाना है।
सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के विजन 2030 के लिए सऊदी अरब में अनेकों बदलाव हो रहे हैं। कभी अपने धर्म और इस्लामी कट्टरपंथ की छवि रखने वाला सऊदी अब सस्टेनेबल डेवलपमेंट, महिलाओं की भागीदारी आदि को लेकर कई बड़े प्रोजेक्ट चला रहा है। इसके अलावा क्राउन प्रिंस सलमान का साल 2050 तक सऊदी की तेल से निर्भरता खत्म करने और सऊदी को दुनिया के आधुनिक देशों की लिस्ट में शामिल करने का प्लान है।
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