Central Desk (Jharkhand) : संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) ने एक ऐतिहासिक पहल के तहत दो अग्रणी विदुषियों- भारत की डॉ. सोनाझारिया मिन्ज और कनाडा की डॉ. एमी पैरेंट को UNESCO Chair in Transforming Indigenous Knowledge Research Governance and Rematriation के रूप में नियुक्त किया है।
यह चेयर साइमन फ्रेजर यूनिवर्सिटी (वैंकूवर) में स्थित है और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (नई दिल्ली) के सहयोग से संचालित की जाएगी। यह पहल भारत, कनाडा और अन्य देशों के आदिवासी समुदायों के ज्ञान, अधिकारों, स्वशासन और सांस्कृतिक पुनर्स्थापन को मजबूती देने के उद्देश्य से शुरू की गई है।
क्या है UNESCO Chair और इसका उद्देश्य?
UNESCO Chair एक अंतरराष्ट्रीय अकादमिक पद है जो किसी विश्वविद्यालय या अनुसंधान संस्थान में स्थापित किया जाता है। इसका उद्देश्य वैश्विक सहयोग, ज्ञान विनिमय और सतत विकास, मानवाधिकार और सांस्कृतिक विरासत जैसे क्षेत्रों में अनुसंधान व नीतिगत विकास को बढ़ावा देना है।
आदिवासी ज्ञान शोध शासनों (IKRG) की ओर एक बदलाव
Indigenous Knowledge Research Governance (IKRG) एक स्वशासी आदिवासी दृष्टिकोण है, जिसमें अनुसंधान प्रक्रियाएं, नीतियां और संरचनाएं आदिवासी समुदायों द्वारा स्वयं तय की जाती हैं। इसमें प्रकृति, मातृ पृथ्वी, लिंग समावेशन और सांस्कृतिक पुनर्स्थापन जैसे मूल्य निहित हैं।
“भाषा केवल संवाद नहीं, बल्कि संस्कृति की आत्मा है”– डॉ. सोनाझारिया मिन्ज
झारखंड की ओड़ाव (Oraon) जनजाति से ताल्लुक रखने वाली डॉ. सोनाझारिया मिन्ज का मानना है कि आदिवासी भाषाएं तेजी से विलुप्त हो रही हैं और उन्हें बचाना हम सबकी जिम्मेदारी है। कुरुख भाषा उनकी मातृभाषा है और उनके कुल का नाम “मिन्ज” (मत्स्य) है।
वर्तमान में डॉ. मिन्ज जेएनयू, नई दिल्ली में कंप्यूटर साइंस की प्रोफेसर हैं और उनके शोध क्षेत्रों में जियोस्पेशियल इनफॉर्मेटिक्स, एआई और मशीन लर्निंग शामिल हैं। वे सिदो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति भी रह चुकी हैं और जेंडर, जलवायु परिवर्तन और आदिवासी अधिकारों पर कई अंतरराष्ट्रीय प्रोजेक्ट्स में सह-अन्वेषक हैं।
तकनीक, मातृसत्ता और भाषा पुनर्जीवन में नेतृत्व
अगले चार वर्षों में, इस संयुक्त UNESCO Chair के तहत:
• आदिवासी समुदायों से संवाद और सहभागिता बढ़ाएंगे।
• सांस्कृतिक वस्तुओं की वापसी की प्रक्रियाओं में सहयोग देंगे।
• भाषा पुनर्जीवन, AI में आदिवासी सहभागिता, डिजिटल डेटा संप्रभुता जैसे क्षेत्रों में कार्य करेंगे।
वे विशेष रूप से आदिवासी महिलाओं, ज्ञान धारकों, युवाओं और समुदायों के साथ मिलकर मातृसत्तात्मक मूल्यों को बढ़ावा देंगे।
अन्य वैश्विक सहयोग
यह चेयर पहले से कार्यरत UNESCO Chairs के साथ भी जुड़ी होगी जैसे:
• University of Quebec at Chicoutimi की UNESCO Chair in the Transmission of First Peoples’ Culture, और
• Vancouver Island University की Chair in Indigenous Protected and Conserved Areas.
सार्वजनिक उद्घाटन
इस ऐतिहासिक नियुक्ति का सार्वजनिक उद्घाटन 20 अक्टूबर 2025 को Coast Salish Territories में होने वाले B.C. First Nations Women’s, 2SLGBTQQIA+, Self-Determination & Rematriation Research Governance Summit में किया जाएगा।