लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से आए शरणार्थियों के लिए बड़ी घोषणा की है। उन्होंने राज्य के अलग-अलग जिलों में बसे ऐसे करीब 10 हजार परिवारों को जमीन का मालिकाना हक देने के निर्देश दिए हैं। यदि उनके पास जमीन नहीं है या कानूनी अड़चनें हैं, तो उन्हें वैकल्पिक भूमि दी जाएगी।
मुख्यमंत्री ने सोमवार को एक उच्चस्तरीय बैठक में अधिकारियों से कहा, “यह केवल पुनर्वास नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय, राष्ट्रीय जिम्मेदारी और मानवीय संवेदनाओं से जुड़ा मुद्दा है।”
1960 से 1975 के बीच आए थे हजारों शरणार्थी
मुख्यमंत्री को दी गई प्रस्तुति के अनुसार, 1960 से 1975 के बीच पूर्वी पाकिस्तान से आए करीब 10 हजार परिवारों को पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, बिजनौर व रामपुर जिलों में बसाया गया था। प्रारंभ में इन शरणार्थियों को खेती के लिए जमीन दी गई, लेकिन दशकों बाद भी अधिकांश परिवार कानूनी रूप से मालिकाना हक से वंचित हैं।
कानूनी पेंच : जमीन तो दी, पर हक नहीं मिला
शरणार्थियों को जमीन मिलने के बावजूद कई कानूनी समस्याएं बनी रहीं :
- कई जमीनें वन विभाग के नाम दर्ज हैं।
- नामांतरण की प्रक्रिया लंबित है।
- कुछ परिवारों ने बिना वैध प्रक्रिया के जमीन पर कब्जा कर लिया।
- कुछ गांवों में वे परिवार अब मौजूद ही नहीं हैं।
- राजस्व रिकॉर्ड में नाम न होने से कानूनी अधिकार मिलना कठिन हो गया है।
गर्वनमेंट ग्रांट एक्ट में संशोधन की आवश्यकता
सीएम योगी ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि जिन जमीनों पर गर्वनमेंट ग्रांट एक्ट के तहत कब्जा दिया गया था, वहां वैधानिक विकल्प तलाशें।
गौरतलब है कि यह अधिनियम 2018 में निरस्त हो चुका है, जिससे कानूनी प्रक्रिया में अड़चनें आ रही हैं।
सीएम योगी ने कहा – यह सामाजिक न्याय का सवाल है
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा, “इन परिवारों ने जीवन का लंबा समय संघर्ष में बिताया है। उन्हें उनका हक देना हमारा नैतिक और राष्ट्रीय दायित्व है।” उन्होंने अधिकारियों से कहा कि यदि जमीन उपलब्ध नहीं हो, तो इन्हें वैकल्पिक भूमि देकर समस्या का त्वरित समाधान किया जाए।
फैसले का महत्व : केवल पुनर्वास नहीं, एकजुटता का प्रतीक
सीएम योगी का यह निर्णय सिर्फ पुनर्वास नहीं बल्कि देश की एकता, सामाजिक समरसता व मानवीय संवेदनाओं का भी प्रतिनिधित्व करता है।
सरकार ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि संवेदनशीलता और त्वरित कार्यवाही के साथ शरणार्थी परिवारों को भूमि स्वामित्व देने की प्रक्रिया पूरी करें।