लखनऊ : उत्तर प्रदेश सरकार ने स्टांप एवं पंजीयन विभाग में हुए 202 स्थानांतरण आदेशों को निरस्त कर दिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर यह कार्रवाई की गई है। भ्रष्टाचार की शिकायतों और भारी अनियमितताओं के बाद यह निर्णय लिया गया। ट्रांसफर सूची में 88 उपनिबंधक और 114 कनिष्ठ सहायक शामिल थे।
शिकायतों के बाद सीएम योगी ने लिया एक्शन
स्टांप एवं पंजीयन मंत्री रविन्द्र जायसवाल को लगातार पूरे प्रदेश से ट्रांसफर प्रक्रिया में गड़बड़ी की शिकायतें मिल रही थीं। इसमें विभाग के वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और आईजी स्टांप समीर वर्मा पर भी गंभीर आरोप लगाए गए। मंत्री ने इस मामले को मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाकर लिखित शिकायत की।
202 ट्रांसफर आदेश हुए निरस्त
मुख्यमंत्री योगी के जीरो टॉलरेंस नीति के तहत तत्काल जांच के निर्देश दिए गए। इसके बाद प्रमुख सचिव स्टांप ने सोमवार को सभी 202 ट्रांसफर आदेशों को निरस्त करते हुए शासनादेश जारी किया। जिन अधिकारियों और कर्मचारियों की पोस्टिंग में गड़बड़ी पाई गई थी, उनके खिलाफ कार्रवाई की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।
रिश्वत लेकर पोस्टिंग पाने वालों की जांच शुरू
जानकारी के मुताबिक, ट्रांसफर के बदले मोटी रिश्वत लेकर मलाईदार पदों पर तैनात अधिकारियों की गोपनीय समीक्षा की जा रही है। स्टांप मंत्री ने साफ किया है कि रिश्वत या लापरवाही करने वाले अधिकारियों पर सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। विभागीय स्तर पर भी इस पूरे मामले की गहन जांच चल रही है।
शासन स्तर पर हुए इस निरस्तीकरण से पूरे विभाग में हड़कंप मच गया है। खासकर उन अधिकारियों में बेचैनी है जिन्होंने पैसे के बल पर मनचाही पोस्टिंग पाई थी। योगी सरकार की यह कार्रवाई विभागीय पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में एक मजबूत कदम मानी जा रही है।