सेंट्रल डेस्क: UPI: यूपीआई यानि यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (Unified payment interface) ने भारत में लेनदेन को काफी आसान कर दिया है। इस सहज लेनदेन की, पूरी दुनिया कायल है। लेकिन क्या अब इस लेनदेन पर शुल्क लगेगा। हाल ही में रिसर्च एजेंसी लोकल सर्किल्स की जारी एक सर्वे रिपोर्ट में बताया गया कि चार में से तीन यानि 75% यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) यूज़र्स Transaction फीस लागू होने के बाद UPI का उपयोग करना बंद कर देंगे।
शुल्क लगाने के विरोध में 75 प्रतिशत उपयोगकर्ता
इस रिपोर्ट के अनुसार, इस सवाल का जवाब देने वाले 15,598 UPI उपयोगकर्ताओं में से 75 प्रतिशत ने कहा, “UPI लेनदेन पर कोई शुल्क नहीं लगाया जाना चाहिए और अगर कोई शुल्क लगाया जाता है तो वह इसका उपयोग करना बंद कर देंगे।” रिपोर्ट के अनुसार, इस सर्वे में भाग लेने वाले शेष 22% UPI यूज़र्स ट्रांजेक्शन फीस देने के लिए तैयार थे, और 3% उपयोगकर्ता ने अपना जवाब नहीं दिया।
308 जिलों के सर्वे के आधार पर जारी की गई रिपोर्ट
यह सर्वे भारत के 308 जिलों के कंज्यूमर्स से लिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर देने वालों में से 63 प्रतिशत पुरुष थे, जबकि 37% महिलाएं थीं। इसमें टियर 1 से 41%, टियर 2 से 30 % और टियर 3, 4 और ग्रामीण जिलों से 29 % शामिल थे। रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्वेक्षण में भाग लेने वाले लोगों का लोकल सर्किल्स के साथ पंजीकरण करवाया गया था, ताकि रिपोर्ट में फेक आंसर न हों।
UPI : 100 मिलियन से अधिक एक्टिव यूज़र्स
Unified Payments Interface (UPI) भारत में 11 April 2016 को लॉन्च किया गया था, फिलहाल इसके 100 मिलियन से अधिक एक्टिव यूज़र्स हैं। UPI के ज़रिए पैसे ट्रांसफ़र करने के तीन तरीके हैं – रिसीवर का वर्चुअल पेमेंट एड्रेस (VPA), अकाउंट नंबर और IFSC कोड या QR कोड दर्ज करके।
1 अप्रैल 2023 को किया था बदलाव
UPI द्वारा 1 अप्रैल 2023 से, प्रीपेड पेमेंट इंस्ट्रूमेंट्स (PPI) – वॉलेट या कार्ड का उपयोग करके ₹2,000 से अधिक के मर्चेंट (भुगतान प्राप्त करने वाला व्यक्ति या व्यवसाय) UPI लेनदेन पर 1.1 प्रतिशत का अतिरिक्त इंटरचेंज शुल्क लगाया गया था। इंटरचेंज शुल्क वह शुल्क है जो रिसीवर बैंक/भुगतान, सर्विस प्रोवाइडर द्वारा मर्चेंट से लिया जाता है।
UPI डेटा: 2023-24 में लेन-देन में 44 % की बढ़ोतरी
नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया (NPCI) डेटा के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2023-24 में UPI लेन-देन में 44 % की बढ़ोतरी देखी गई है। एवं लेन-देन 100 बिलियन को पार कर गया और वित्तीय वर्ष 2022-23 में यह लेन-देन 84 बिलियन की तुलना में 131 बिलियन पर बंद हुआ है।