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2024 अमेरिका का चुनाव : कमला हैरिस या डोनाल्ड ट्रंप, कौन बनेगा भारत का नया साथी

कमला हैरिस के बयान अक्सर विवादास्पद रहे हैं। लेकिन कमला हैरिस की नीति में एच-1बी वीजा जैसे कुशल श्रमिक वीजा का विस्तार भारत के आईटी क्षेत्र के लिए फायदेमंद हो सकता है क्योंकि डेमोक्रेटिक सरकारें आमतौर पर इस दिशा में सहायक रही हैं।

by Rakesh Pandey
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नई दिल्ली: अमेरिकी चुनावी मौसम पूरी रफ्तार में है और मतदाता अपने 47वें राष्ट्रपति का चुनाव करने के लिए तैयार हैं। मतदान में केवल दो दिन बचे हैं लेकिन यह चुनाव कई मायनों में अनिश्चितता से भरा हुआ है। डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस और रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप के बीच कड़ी टक्कर की संभावना है। ऐसे में भारत के लिए यह सवाल बेहद अहम है कि कमला हैरिस या डोनाल्ड ट्रंप किसकी जीत भारत के लिए फायदेमंद होगी?

कमला हैरिस: भारतीय मूल की उम्मीद

कमला हैरिस भारतीय मूल की हैं। उनकी मां श्यामला गोपालन, तमिलनाडु की हैं और पिता जमैका के हैं। अमेरिका में अपने माता-पिता की मुलाकात के बाद उन्होंने संयुक्त राज्य में स्थायी निवास की ओर कदम बढ़ाया। कमला हैरिस के भारत के प्रति संबंधों का एक विशेष पहलू है लेकिन क्या यह उनके राजनीतिक दृष्टिकोण में भी झलकता है?

कश्मीर पर हैरिस का रुख

कमला हैरिस के बयान अक्सर विवादास्पद रहे हैं। जब भारत ने अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को समाप्त किया तब हैरिस ने कहा था कि हमें कश्मीरियों को याद दिलाना होगा कि वे अकेले नहीं हैं। इस तरह के बयान कई लोगों के लिए चिंता का कारण बनते हैं क्योंकि यह दिखाता है कि वह भारत के आंतरिक मामलों पर हस्तक्षेप करने की इच्छा रखती हैं।

हालांकि, यह भी ध्यान देने योग्य है कि उपराष्ट्रपति के रूप में हैरिस ने भारत से संबंधित मुद्दों पर ज्यादा खुलकर बात नहीं की। उनकी मोदी से मुलाकात के दौरान कोई खास दोस्ती या केमिस्ट्री नहीं देखने को मिली। इस संदर्भ में यह सवाल उठता है कि यदि वह राष्ट्रपति बनती हैं तो क्या वह बाइडन प्रशासन की नीतियों को आगे बढ़ाएंगी?

भारत के लिए हैरिस का दृष्टिकोण

कुछ विश्लेषकों का मानना है कि हैरिस का राष्ट्रपति बनना भारत के लिए समस्याग्रस्त हो सकता है। उदाहरण के लिए, उनका उपाध्यक्ष पद का उम्मीदवार टिम वाल्ज, चीन के साथ अच्छे संबंध रखते हैं। फिर भी हैरिस की नीति में एच-1बी वीजा जैसे कुशल श्रमिक वीजा का विस्तार भारत के आईटी क्षेत्र के लिए फायदेमंद हो सकता है क्योंकि डेमोक्रेटिक सरकारें आमतौर पर इस दिशा में सहायक रही हैं।

डोनाल्ड ट्रंप: पिछले अनुभव का लाभ


वहीं, डोनाल्ड ट्रंप की वापसी को लेकर कई लोग सकारात्मक सोचते हैं। ट्रंप और पीएम मोदी के बीच का सामंजस्य काफी मजबूत रहा है। 2020 के चुनावों में मोदी ने ‘अबकी बार, ट्रंप सरकार’ का नारा दिया था। ट्रंप के फिर से चुनावी मैदान में उतरने का मतलब हो सकता है कि भारत को उनके प्रशासन में ज्यादा सहयोग मिले।

ट्रंप का विदेश नीति दृष्टिकोण

ट्रंप ने बार-बार कहा है कि यदि वह फिर से चुने जाते हैं तो रूस-यूक्रेन युद्ध को तुरंत रोक देंगे। यह भारत के लिए एक सकारात्मक विकास होगा क्योंकि भारत की रूस के साथ करीबी संबंधों को लेकर पश्चिमी देशों की आलोचना होती रहती है। इसके अलावा कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि ट्रंप का चीन के प्रति कड़ा रुख भारत के लिए फायदेमंद हो सकता है।

ट्रंप की चुनौतियां

हालांकि, ट्रंप के साथ कुछ चुनौतियां भी जुड़ी हैं। उन्होंने भारत पर टैरिफ का आरोप लगाया है और इसे टैरिफ किंग कहा। उनका यह बयान भारत के अमेरिकी बाजार में प्राथमिकता से पहुंच को समाप्त करने का संकेत देता है, जो एक महत्वपूर्ण चिंता का विषय हो सकता है।

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