प्रयागराज: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ मेला 2025 के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने आस्था की डुबकी लगाई। उनके साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, योग गुरु बाबा रामदेव और कई अन्य साधु-संत भी संगम में स्नान करने पहुंचे। गृहमंत्री शाह के साथ स्नान के दौरान धार्मिक और राजनीतिक प्रमुखों की एक बड़ी उपस्थिति रही, जिससे महाकुंभ का आयोजन और भी खास बन गया।
अमित शाह का महाकुंभ स्नान और यात्रा
गृहमंत्री अमित शाह रविवार को ही प्रयागराज पहुंचे, जहां उनका स्वागत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एयरपोर्ट पर किया। इसके बाद, अमित शाह संगम पहुंचे और वहां आस्था की डुबकी लगाई। उनके साथ बाबा रामदेव, साधु-संत और अन्य धार्मिक नेताओं ने भी स्नान किया। इसके बाद गृहमंत्री शाह ने संगम में स्नान करने के बाद लेटे हनुमान मंदिर और अक्षय वट का भी दर्शन किया। इस अवसर पर सीएम योगी ने अमित शाह का स्वागत किया और उनके साथ मेले की धार्मिक गतिविधियों में हिस्सा लिया।
महाकुंभ में अन्य प्रमुख हस्तियों की आस्था
महाकुंभ मेला एक बड़ा धार्मिक आयोजन है, जिसमें देशभर से लाखों श्रद्धालु शामिल होते हैं। अब तक इस मेले में कई राजनीतिक और धार्मिक हस्तियां आस्था की डुबकी लगा चुकी हैं। 18 जनवरी को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संगम में स्नान किया था। इसके बाद 22 जनवरी को यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कैबिनेट मंत्रियों के साथ महाकुंभ में डुबकी लगाई थी। योगी आदित्यनाथ ने यह भी कहा था कि यह पहला अवसर है जब महाकुंभ में पूरा मंत्रिपरिषद मौजूद है। इसके साथ ही पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भी महाकुंभ में स्नान कर चुके हैं।
आने वाले दिनों में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के महाकुंभ में जाने की संभावना है। जानकारी के अनुसार, राष्ट्रपति मुर्मू 10 फरवरी को प्रयागराज में पहुंचेंगी और महाकुंभ में आस्था की डुबकी लगाएंगी।
कुंभ मेला: एक ऐतिहासिक धार्मिक परंपरा
कुंभ मेला भारत के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन में से एक है, जो विशेष रूप से हिंदू धर्म में महत्वपूर्ण माना जाता है। कुंभ मेला प्रत्येक बारह वर्ष में चार प्रमुख स्थानों- इलाहाबाद (प्रयागराज), हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में आयोजित होता है। इस मेले का आयोजन पौराणिक कथाओं पर आधारित है, जिसमें कहा गया है कि समुद्र मंथन से अमृत की कुछ बूंदें चार स्थानों पर गिरी थीं। इन्हीं स्थानों पर कुंभ मेला आयोजित किया जाता है। यह आयोजन धार्मिक महत्व के साथ-साथ सांस्कृतिक समृद्धि का भी प्रतीक है।
महाकुंभ का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
महाकुंभ में शामिल होना हिन्दू धर्म के अनुयायियों के लिए विशेष धार्मिक महत्व रखता है। कहा जाता है कि यहां स्नान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और जीवन के सारे कष्ट दूर होते हैं। इस आयोजन के माध्यम से लाखों श्रद्धालु संगम की पवित्र नदियों में डुबकी लगाकर अपने जीवन के संकटों से मुक्ति की कामना करते हैं। महाकुंभ के दौरान विशेष पूजा, ध्यान, धार्मिक प्रवचन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है।
महाकुंभ में शांति और सुरक्षा के लिए व्यवस्था
महाकुंभ के आयोजन के दौरान सुरक्षा व्यवस्था को लेकर अधिकारियों की तरफ से कड़ी तैयारी की जाती है। पुलिस और सुरक्षा बलों की तैनाती होती है ताकि मेला क्षेत्र में आने वाले श्रद्धालुओं को कोई भी समस्या न हो। इस बार भी प्रशासन ने हजारों पुलिसकर्मियों और सुरक्षा एजेंसियों को तैनात किया है, ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके।
महाकुंभ का यह आयोजन धार्मिक आस्था के साथ-साथ एक सांस्कृतिक मिलन भी है, जहां देशभर के लोग एकत्र होते हैं और आपस में भाईचारे और सौहार्द का संदेश देते हैं।
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