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Vinoba Bhave University : भारतीय ज्ञान परंपरा पर दो दिवसीय व्याख्यान संपन्न, प्रो. हीरामन बोले- ज्ञान सीमित नहीं होता, यह अनुभव और संवाद से होता है विस्तारित

Vinoba Bhave University : PM-USHA के MERU प्रोजेक्ट के तहत आयोजित व्याख्यान में प्रो. तिवारी ने भारतीय ज्ञान परंपरा, शोध की पद्धति और मातृभाषा के महत्व पर दिया जोर

by Anurag Ranjan
Prof. Hiraman Tiwari speaks on mother tongue and Ramcharitmanas during Indian knowledge lecture series at VBU
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हजारीबाग : विनोबा भावे विश्वविद्यालय, हजारीबाग में भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित दो दिवसीय व्याख्यान माला के दूसरे दिन मंगलवार को गहन विमर्श हुआ। कार्यक्रम का आयोजन प्रधानमंत्री उच्चतर शिक्षा अभियान (PM-USHA) के अंतर्गत MERU प्रोजेक्ट के तहत स्वामी विवेकानंद सभागार में किया गया।

इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित प्रो. हीरामन तिवारी ने भारतीय परंपरा, रामचरितमानस, मातृभाषा और शोध की प्रक्रियाओं पर विस्तृत विचार प्रस्तुत किए। उन्होंने समाजवादी विचारक डॉ. राम मनोहर लोहिया के निबंधों के माध्यम से व्याख्यान की शुरुआत की और ‘रामकृष्ण’ और ‘शिव’ विषय पर रोचक दृष्टिकोण रखा।

जनमानस के हृदय से सीधे जुड़ता है रामचरितमानस

प्रो. तिवारी ने रामचरितमानस को लोकभाषा में रचित एक उत्कृष्ट ग्रंथ बताते हुए कहा कि यह ग्रंथ सीधे जनमानस के हृदय से जुड़ता है। उन्होंने शोधार्थियों से आग्रह किया कि किसी भी विषय पर शोध करने से पहले अपने मन में यह सवाल ज़रूर करें—”मैं इस विषय को क्यों चुन रहा हूं?”

उन्होंने पाश्चात्य और भारतीय ज्ञान परंपरा में अंतर बताते हुए ‘मेटाटेक्स्ट’ और प्राचीन ‘माहात्म्य’ की अवधारणाओं को उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट किया। वाल्मीकि रामायण और एक फ्रेंच पक्षी की कथा का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि ज्ञान सीमित नहीं होता, यह अनुभव और संवाद से विस्तारित होता है।

आवश्यक है मातृभाषा का सम्मान

मातृभाषा के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि जब व्यक्ति किसी भाषा को सुनता, समझता और उसका प्रयोग करता है, तो वह भाषा उसकी पसंद बन जाती है। उन्होंने कहा कि सभी भाषाएं समान रूप से सुंदर होती हैं, पर मातृभाषा का सम्मान आवश्यक है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कुलपति प्रो. चंद्र भूषण शर्मा ने भविष्य में “हजारीबाग लेक्चर सीरीज” की घोषणा करते हुए प्रो. तिवारी का धन्यवाद किया। कार्यक्रम का संचालन यूसेट के प्राध्यापक डॉ. अरुण कुमार मिश्रा ने किया। इसमें विश्वविद्यालय के अधिकारी, शिक्षक एवं विभिन्न विभागों के छात्र-छात्राएं बड़ी संख्या में उपस्थित रहे।

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