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Waqf (Amendment) Bill 2025: सुप्रीम कोर्ट में बिफरे निशिकांत दुबे, कहा- संसद बंद कर देनी चाहिए फिर तो…

Waqf (Amendment) Bill 2025: अदालत ने केंद्र को प्रारंभिक जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है। अगली सुनवाई 5 मई को निर्धारित की गई है।

by Reeta Rai Sagar
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नई दिल्ली: वक्फ (संशोधन) अधिनियम 2025 की संवैधानिक वैधता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई के बीच, भारतीय जनता पार्टी (BJP) के सांसद निशिकांत दुबे ने शनिवार को एक तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि यदि न्यायपालिका ही कानून बनाने लगे, तो संसद भवन की आवश्यकता ही समाप्त हो जाती है।

वक्फ अधिनियम संशोधन पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार से वक्फ अधिनियम, 1995 में किए गए 2025 संशोधनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई शुरू की। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी है कि इस अधिनियम की कुछ धाराएं जैसे वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति और “वक्फ-बाय-यूज़र” संपत्तियों का डिनोटिफिकेशन, भारतीय संविधान के तहत प्रदत्त मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती हैं।

सरकार ने दिए महत्वपूर्ण आश्वासन

सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट को कई महत्वपूर्ण आश्वासन दिए गए:
• वक्फ बोर्ड या काउंसिल में कोई भी गैर-मुस्लिम सदस्य तब तक नियुक्त नहीं किया जाएगा, जब तक कि कोर्ट का अगला आदेश न आ जाए।
• “वक्फ-बाय-यूज़र” सहित कोई भी वक्फ संपत्ति, जो पहले से अधिसूचित या पंजीकृत है, उसे डिनोटिफाई नहीं किया जाएगा।
• जिला कलेक्टर किसी भी वक्फ संपत्ति की स्थिति में कोई बदलाव नहीं करेंगे।
इन आश्वासनों के आधार पर शीर्ष अदालत ने केंद्र को प्रारंभिक जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है। अगली सुनवाई 5 मई को निर्धारित की गई है।

न्यायिक समीक्षा पर सांसद का कड़ा बयान
इस मामले में भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, “अगर सुप्रीम कोर्ट कानून बनाएगा तो फिर संसद भवन को बंद कर देना चाहिए।”
उनका यह बयान अप्रत्यक्ष रूप से न्यायपालिका द्वारा वक्फ अधिनियम की समीक्षा की ओर संकेत करता है।

संवैधानिक वैधता पर उठे सवाल
मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति पीवी संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ ने गुरुवार को लगातार दूसरे दिन सुनवाई करते हुए संशोधित अधिनियम की कई धाराओं पर गंभीर सवाल उठाए। कोर्ट ने संकेत दिया कि कुछ प्रावधान संविधान की कसौटी पर खरे नहीं उतर सकते और इस पर अंतरिम आदेश जारी किया जा सकता है।

वक्फ अधिनियम संशोधन 2025 के प्रमुख बिंदु
• वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों की संभावित नियुक्ति
• वक्फ संपत्तियों का डिनोटिफिकेशन
• “वक्फ-बाय-यूज़र” जैसी परंपरागत वक्फ संपत्तियों की स्थिति पर विवाद
• धार्मिक और संपत्ति अधिकारों से संबंधित संवैधानिक प्रश्न
यह मामला संवैधानिक अधिकारों, धर्मनिरपेक्षता और विधायी प्रक्रियाओं के संतुलन के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। वक्फ अधिनियम 2025 में किए गए संशोधनों की अंतिम वैधता पर अब शीर्ष अदालत का फैसला निर्णायक होगा।

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