नयी दिल्ली : तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने बुधवार को वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 पर तीखा हमला करते हुए इसे राज्य के अधिकारों का उल्लंघन बताया। उन्होंने कहा कि संसद को इस संबंध में कोई कानून बनाने का अधिकार नहीं है। विधेयक पर सदन में चर्चा के दौरान बनर्जी ने कहा कि मुसलमानों का वक्फ संपत्ति पर अधिकार है और यह संपत्ति मुस्लिम समुदाय की सांस्कृतिक, धार्मिक, और सामाजिक पहचान का हिस्सा है। उन्होंने विधेयक के प्रावधानों पर आपत्ति जताते हुए इसे संवैधानिक रूप से गलत बताया।
राज्य विधायिका का अधिकार : कल्याण बनर्जी
बनर्जी ने कहा कि ऐसे विधेयक केवल राज्य सरकारों का अधिकार है और संविधान संसद को राज्य विधायिका के अधिकारों पर हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं देता। उनका कहना था, “संसद के माध्यम से राज्य के अधिकारों का अतिक्रमण नहीं किया जा सकता।” उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि प्रस्तावित विधेयक उच्चतम न्यायालय और अन्य न्यायालयों के स्थापित सिद्धांतों को नकारता है, जिनमें धार्मिक और सांस्कृतिक अधिकारों की रक्षा की गई है।
सरकार को धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप का अधिकार है?
बनर्जी ने विधेयक में वक्फ बनाने के लिए पांच साल तक इस्लाम का अनुसरण करने के प्रावधान पर सवाल उठाते हुए कहा, “क्या सरकार को यह पूछने का अधिकार है कि कोई अपनी धार्मिक जिम्मेदारी अदा कर रहा है या नहीं?” उन्होंने तर्क दिया कि कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति को दान में देने के लिए स्वतंत्र है, चाहे वह हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, या बौद्ध धर्म को मानता हो।
यह विधेयक लंबित मामलों का आधार नहीं
कल्याण बनर्जी ने कहा कि यदि इस विधेयक को लंबित मामलों को सुलझाने के उद्देश्य से लाया गया है, तो उच्चतम न्यायालय और अन्य अदालतों में पहले से ही कई मामले लंबित हैं, जिन्हें हल करने के लिए सरकार को नया कानून लाने की जरूरत नहीं थी।