वाराणसी: जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है, वैसे-वैसे वाराणसी में पानी की समस्या भी गंभीर होती जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र में पानी की आपूर्ति बाधित होने से लोग परेशान हैं। नगर निगम और जल निगम द्वारा उठाए गए कदम अब तक पूरी तरह प्रभावी नहीं हो पाए हैं। हालात यह हैं कि लोगों को गैलन भरकर पानी खरीदना पड़ रहा है।
जल निगम के पंपों की मरम्मत में देरी
उत्तर प्रदेश जल निगम भेलूपुर में स्थित वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के रॉ वाटर पंपों की मरम्मत में जुटा है, लेकिन इस कार्य में देरी हो रही है। नगर निगम ने 10 अप्रैल तक दो पंपों को चालू करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन अभी तक यह कार्य अधूरा है। भदैनी में एक पंप ट्रायल पर चलाया गया है, जबकि दूसरा अभी भी बंद है।
गंगा के जलस्तर में कमी
गंगा का जलस्तर घटने के कारण भी पानी की आपूर्ति बाधित हो रही है। जलस्तर कम होने से वाटर ट्रीटमेंट प्लांट को कच्चा जल नहीं मिल पा रहा, जिससे पूरे शहर में जल संकट गहरा गया है।
सरकार की तय डेडलाइन भी हुई फेल
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और नगर विकास मंत्री ए.के. शर्मा ने 31 मार्च तक जल संकट का समाधान करने की समय सीमा तय की थी, लेकिन यह डेडलाइन भी खत्म हो चुकी है। बड़नी पंपिंग स्टेशन पर दो नए पंप लगाने का कार्य अधूरा है। एक पंप ट्रायल पर चल रहा है, जबकि दूसरा अब तक शुरू नहीं हो पाया है।
कम दबाव और गंदे पानी की समस्या
वाराणसी के कई इलाकों में लो प्रेशर और गंदे पानी की समस्या बनी हुई है। कोनिया, करौंदी, आदित्य नगर, भेलूपुर, सिगरा, औरंगाबाद, बेनियाबाग और वरुणा उस पार के क्षेत्रों में पानी की भारी किल्लत है। जहां पानी आ भी रहा है, वह गंदा और पीने योग्य नहीं है।
108 करोड़ रुपये जारी, लेकिन समाधान कब?
राज्य सरकार ने जल आपूर्ति की समस्या को हल करने के लिए जल निगम को 108 करोड़ रुपये जारी किए हैं। इस राशि का उपयोग शटलिंग टाइम की मरम्मत, फिल्टर प्लांट की सुधार और अन्य आवश्यक कार्यों में किया जाएगा।
जल आपूर्ति सुधारने के लिए टेस्टिंग प्रक्रिया
जल संकट से निपटने के लिए ओवरहेड टैंकों से जल आपूर्ति की टेस्टिंग की जा रही है। नौ ओवरहेड टैंकों में से तीन का कनेक्शन किया जा चुका है, जबकि बाकी पर परीक्षण जारी है। इसके अलावा, चौकाघाट, मलदहिया, तुलसीपुर, शाहिद उद्यान, नगर निगम स्टोर परिसर और मिंट हाउस में पाइपलाइन के विस्तार का कार्य किया जा रहा है।
जल संकट से निपटने के लिए कई घोषणाएं की गई हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर समाधान अभी भी अधूरा है। अब देखना होगा कि प्रशासन कब तक इस गंभीर समस्या का समाधान कर पाता है।