विश्व में नंबर 1 बनने तक का सफर मिलिए झारखंड की शान,  दीपिका कुमारी से।

गरीबी से निकलकर, तीर के दम पर

रांची के एक गरीब परिवार से आने वाली दीपिका का सपना था बड़ा — कुछ कर दिखाने का। दीपिका कुमारी से।

शुरुआत रांची से

प्लास्टिक की बोतलों और बांस से बने तीर-कमान से शुरू किया अभ्यास। दीपिका कुमारी से।

बांस के तीर-कमान से शुरुआत

2006 में टाटा आर्चरी अकादमी में जगह मिली — यहीं से शुरू हुआ असली सफर।

Tata Archery Academy  में चयन

    दिल्ली में आयोजित गेम्स में दीपिका ने देश के लिए गोल्ड जीता।

कॉमनवेल्थ गेम्स 2010 – गोल्ड मेडल

2012 में वर्ल्ड आर्चरी रैंकिंग में बनीं नंबर 1 — भारत की पहली।

विश्व की नंबर 1 तीरंदाज बनीं

कभी खराब प्रदर्शन, तो कभी संसाधनों की कमी — लेकिन दीपिका ने कभी हार नहीं मानी।

संघर्ष कभी नहीं थमा

टोक्यो में भारत का प्रतिनिधित्व किया — हर निशाना देश के लिए था।

टोक्यो ओलंपिक 2020  में भागीदारी

अर्जुन पुरस्कार, पद्मश्री और कई अंतरराष्ट्रीय सम्मान उनके नाम।

अब तक के सम्मान

दीपिका सिर्फ खिलाड़ी नहीं, हर भारतीय लड़की के लिए प्रेरणा हैं। आप भी कहिए  "मैं दीपिका से प्रेरित हूं!"

प्रेरणा बन चुकी हैं दीपिका