झारखंड का एक ऐसा मंदिर, जहां देवी बिना सिर के विराजमान हैं! जानिए रजरप्पा मंदिर का रहस्य...

क्या है रजरप्पा मंदिर?

छिन्नमस्तिका देवी का प्राचीन शक्तिपीठ, जहां देवी का सिर धड़ से अलग है लेकिन शरीर जीवित है।

देवी का रूप क्यों अनोखा है?

छिन्नमस्तिका – आत्मबलिदान और शक्ति का प्रतीक, जो भक्तों को भय और करुणा दोनों सिखाती हैं।

संगम स्थल पर बसा मंदिर

भैरवी और दामोदर नदियों के संगम पर स्थित यह मंदिर आध्यात्मिक ऊर्जा से भरपूर माना जाता है।

तांत्रिक साधना का केंद्र

यह शक्तिपीठ तांत्रिकों के लिए विशेष है, विशेषकर नवरात्र और पूर्णिमा पर साधना की जाती है।

कब और कैसे जाएं?

रामगढ़ ज़िले में स्थित, रांची से लगभग 80 किमी दूर। सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है।

नदी किनारे घाट और बलिदान की परंपरा

पारंपरिक रूप से यहां बलि दी जाती थी, अब नारियल की बलि और हवन होते हैं।

प्राचीन वास्तुकला की मिसाल

मंदिर नागर शैली में बना है, जिसमें बिना सीमेंट के पत्थरों को जोड़ा गया है।

पर्यटन और आस्था  दोनों का संगम

यहां भक्त, शोधकर्ता, और पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं — यह झारखंड का सांस्कृतिक केंद्र है।

यहां भक्त, शोधकर्ता, और पर्यटक बड़ी संख्या में आते हैं,  यह झारखंड का सांस्कृतिक केंद्र है।