Home » काला धन क्या होता है ? कैसे चलता है हवाला का कारोबार?

काला धन क्या होता है ? कैसे चलता है हवाला का कारोबार?

by Rakesh Pandey
काला धन क्या होता है ? कर चोरी यानी टैक्स की चोरी।
WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Follow Now

काला धन (Black Money) वह धन होता है जो अवैध तरीकों से कमाया जाता है। इसमें कर चोरी, भ्रष्टाचार, अपराध, आदि शामिल हैं। काला धन अर्थव्यवस्था के लिए हानिकारक होता है क्योंकि यह राजस्व हानि का कारण बनता है और आर्थिक विकास को बाधित करता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनांस एंड पॉलिसी के अनुसार, ‘काला धन वह राशि है जिस पर कर की देनदारी तो बनती है लेकिन उसकी जानकारी कर विभाग (Tax Department) को नहीं दी जाती है।

काला धन क्या होता है

काला धन सरकार की आय में रुकावटें तो उत्पन्न करता ही है, साथ ही देश के सीमित वित्तीय साधनों को अवांछित दिशाओं में मोड़ देता है। हवाला एक अवैध तरीका है जिससे काला धन को एक स्थान से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित किया जाता है। यह एक अनौपचारिक प्रणाली है जो विश्वास और पारस्परिक समझ पर आधारित होती है। हवाला कारोबारी पैसे के बदले में शुल्क लेते हैं।

कैसे बनता है काला धन

काला धन बनने के कई तरीके हैं। जिसमे पहला है कर चोरी यानी टैक्स की चोरी। टैक्स चोरी काला धन कमाने का सबसे आम तरीका है। इसमें आय कर, बिक्री कर, और अन्य करों से बचना शामिल है। भ्रष्टाचार भी काला धन का एक तरीका है। इसमें सरकारी अधिकारियों द्वारा रिश्वत लेना और गबन करना शामिल है। इसके अलावा अपराध भी काला धन का एक तरीका है। इसमें चोरी, डकैती, और तस्करी शामिल है।

काले धन का अनुमान कैसे लगाया जाता है?

आर्थिक मॉडल का उपयोग करके काले धन का अनुमान लगाया जा सकता है। यह मॉडल देश की अर्थव्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर विचार करते हुए काले धन के आकार का अनुमान लगाते हैं। सर्वेक्षण का उपयोग करके भी काले धन का अनुमान लगाया जा सकता है। इन सर्वेक्षणों में लोगों से पूछा जाता है कि वे कितने काले धन को छिपाते हैं। इसके अलावा वित्तीय लेन-देन की निगरानी करके भी काले धन का अनुमान लगाया जा सकता है। यह निगरानी अवैध गतिविधियों का पता लगाने और काले धन के आकार का अनुमान लगाने में मदद करती है।

काले धन से कैसे बिगड़ती है देश की अर्थव्यवस्था?

काले धन से देश की अर्थव्यवस्था को कई तरह से नुकसान होता है। काला धन से सरकार को राजस्व की हानि होती है। इससे सरकार के विकास कार्यक्रमों को प्रभावित होता है। काला धन आर्थिक विकास में बाधा डालता है। यह अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देता है और कानूनी व्यवसायों को हानि पहुंचाता है। यह अर्थव्यवस्था में असमानता को बढ़ाता है और साथ ही सामाजिक समस्याओं को भी बढ़ावा देता है। इससे अपराध, भ्रष्टाचार, और अन्य अवैध गतिविधियां और बढ़ जाती हैं।

कैसे चलता है हवाला का कारोबार?

हवाला में कैश को बगैर ट्रांसफर किए, ट्रांज़ैक्शन किया जाना इस कारोबार की खासियत है। इसके लिए न तो बैंकों की ज़रूरत है न ही करेंसी एक्सचेंज की। न तो कोई फॉर्म भरना है और ना ही फ़ीस देनी है, बल्कि इसमें एक तो वो होगा जो रुपये भेजेगा, दूसरा वो होगा जिसके पास रुपये आएंगे और बीच में कम से कम दो मध्यस्थ होंगे। यह भरोसे का धंधा कहा जाता है। एक नेटवर्क के ज़रिए करंसी एक्सचेंज भी हो जाता है यानी यहां से आप रुपये में रकम देते हैं और दूसरे देश में वहां की करेंसी के हिसाब से रकम का भुगतान हो जाता है।

ऐसे होता है हवाला से भुगतान

हवाला में किसी भी नोट के नंबर के आधार पर भुगतान किया जाता है। हवाला कारोबारी किसी नोट के नंबर स्थानीय व्यक्ति को बता देता है। यही नंबर वह दूसरे स्थान पर भुगतान लेने वाले व्यक्ति को बता देता है। यह नंबर बताते ही हवाला कारोबारी रुपए लेने आने वाले व्यक्ति को भुगतान कर देता है। हवाला में प्रति लाख पर निश्चित शुल्क वसूला जाता है। यह शुल्क प्रति लाख 300 रुपए से शुरू होता है, जो राशि और भुगतान करने की दूरी के हिसाब से बढ़ता जाता हैं।

भारत मे काले धन की स्थिति

काले धन और काली अर्थव्यवस्था (ब्लैक इकोनॉमी) को मापने का कोई सटीक पैमाना या तरीका नहीं है। ज्यादातर तरीके पुराने हैं और उनमें कई तरह की खामियां हैं। एनआईपीएफपी के एक अध्ययन के मुताबिक, देश में साल 1983-84 में 32,000 से 37,000 करोड़ रुपए का काला धन था। वहीं, साल 2010 में अमेरिका की ग्लोबल फाइनेंशियल इंटीग्रिटी ने अनुमान लगाया था कि 1948 से 2008 के बीच भारत से 462 अरब डॉलर की रकम बाहर गई है।

Related Articles