नई दिल्ली : हरदीप सिंह निज्जर की हत्या के बाद, कनाडा और भारत के बीच तनाव बढ़ रहा है। कनाडा को दिल्ली में अपने उच्चायोग से कर्मचारियों को वापस बुलाने के लिए कहा गया था। भारत ने चेतावनी दी थी कि यदि कनाडा अपने कर्मचारियों को नहीं बुलाता है, तो भारत अपने उच्चायुक्तों को वापस बुला सकता है। यह चेतावनी देते हुए भारत ने बताया कि यदि कनाडा इसे नजरअंदाज करता है, तो भारत डिप्लोमैटिक इम्युनिटी, अर्थात राजनयिक सुरक्षा, वापस ले सकता है।
भारत की चेतावनी को बताया ‘अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन’
इसके बाद, कनाडा ने अपने 41 राजनयिकों को वापस बुला लिया है। हालांकि, कनाडा के अधिकारी ने भारत की चेतावनी को ‘अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन’ बताया। कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा कि दुनिया को इस तरह की घटनाओं से चिंता करनी चाहिए। इन आरोप-प्रत्यारोप के बीच, वियना संधि पर चर्चाएं हो रही हैं।
क्या है वियना संधि?
वियना संधि वस्तुस्थिति संबंधित दो देशों के बीच होने वाली दो तरह की व्यावसायिक संधियों में से एक है। यह संधि व्यावसायिक और विपणन सम्बंधित मुद्दों को हल करने के लिए दो देशों के बीच होती है। इसमें दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश, और अन्य व्यावसायिक मुद्दों पर सहमति को प्रमाणित करने के लिए समझौता किया जाता है। वियना संधि एक सामरिक समझौता है जो दोनों देशों के बीच व्यापार और अन्य साझेदारी को मजबूत करता है।
भारत का क्या है दृष्टिकोण
वहीं भारत की दृष्टि से, वियना संधि एक ऐतिहासिक संधि है जो भारत और कनाडा के बीच संबंधित दोनों देशों के बीच होने वाली व्यावसायिक संधि को दिखाती है। यह संधि कानूनी और व्यावसायिक अनुसंधानों (Commercial Research) के बारे में होती है, जिसमें दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश और अन्य साझेदारी को समर्थन मिलता है।
साझेदारी और व्यापारिक संबंधों की मजबूती का आधार
आपको बता दें कि इस संधि का उद्देश्य दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करना है और संवाद और सहयोग को बढ़ाना है। इसके माध्यम से, वियना संधि व्यावसायिक संबंधों को स्थापित करने में मदद करती है और दोनों देशों के बीच आपसी सहयोग को बढ़ाने का कार्य करती है। इससे वियना संधि भारत और कनाडा के बीच साझेदारी और व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने में मदद करती है।
वियना संधि का इतिहास
वियना संधि को समझने के लिए उसके इतिहास को समझना बेहद जरूरी है। दरअसल, वियना संधि का इतिहास 1961 में शुरू हुआ था। यह संधि ऑस्ट्रिया के वियना नगर में ऑस्ट्रिया और इसराइल के बीच हुई थी। इस संधि को उस समय के राजनयिक संदर्भ में आर्थिक और सामरिक समझौता माना जाता है जिसमें इसराइल को एक नया राष्ट्रीय स्तर प्राप्त हुआ। इस संधि के माध्यम से ऑस्ट्रिया ने इसराइल को मान्यता दी और उनकी संरक्षा और सुरक्षा में सहायता करने का भरपूर समर्थन दिया। यह संधि उस समय के बाद बड़े पैमाने पर इसराइल के लिए एक महत्त्वपूर्ण अन्तरराष्ट्रीय संधि बन गई थी। इसके माध्यम से ऑस्ट्रिया ने इसराइल के साथ साझा की गई व्यावसायिक और सांस्कृतिक रिश्तों को भी मजबूत किया था।
कनाडा सरकार ने अपने राजनयिकों को क्यों वापस बुलाया?
कनाडा में भारत के जितने डिप्लोमैटिक हैं, कनाडा ने भारत में उससे बहुत ज्यादा डिप्लोमैट्स तैनात किए हैं। ऐसे में जब ट्रूडो ने भारत पर निज्जर की हत्या का आरोप लगाया, जिसके बाद दोनों देशों के रिश्ते तनावपूर्ण होने लगे तो भारत ने राजनयिकों की संख्या में बराबरी की मांग रखी थी।
आपको बता दें कि जब से ट्रूडो ने भारत पर निज्जर की हत्या में परोक्ष रूप से शामिल होने का आरोप लगाया है तब से दोनों देशों के रिश्ते काफी बदल चुके हैं। राज नायकों की संख्या में समानता लाने के लिए भारत ने अपने इस फैसले के बारे में कनाडा को लगभग 1 महीने पहले ही बता दिया था और लागू करने की तारीख 10 अक्टूबर की तय हुई थी लेकिन इसके बाद उसे 20 अक्टूबर तक कर दिया गया।