दिल्लीः बीते दो दिनों से संसद भवन सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों के लिए विरोध प्रदर्शन की जगह बनी हुई है। दोनों पक्षों का एक-दूसरे पर एक ही आरोप है। हाथों में तख्ती लिए दोनों ही ओर के सांसद प्रदर्शन कर रहे है। एक-दूसरे को धक्का-मुक्की और छींटाकशी कर रहे है। सभापति गुहार कर रहे है। पर सुनने वाला कोई नहीं….सदन का आखिरी दिन भी विरोध प्रदर्शनों की भेंट चढ़ चुका है।
सदन में हुई धक्का-मुक्की में तीन सांसद जख्मी हुए है और तीनों सांसदों की ओर से बीजेपी सांसद अनुराग ठाकुर, बांसुरी स्वराज और हिमांग जोशी ने कांग्रेस सांसद औऱ नेता विपक्ष राहुल गांधी के खिलाफ संसद मार्ग थाने में एफआईआर दर्ज कराई है। पुलिस ने राहुल गांधी के ख़िलाफ़ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 109, 115, 125 131 और 351 के तहत मामला दर्ज किया है। ये तीन सांसद है- ओड़िशा के बालासोर से चुनकर आए बीजेपी सांसद प्रताप चंद्र सारंगी, उत्तर प्रदेश के फर्रूखाबाद सीट से जीतने वाले मुकेश राजपूत और नागालैंड से बीजेपी की राज्यसभा सांसद फॉन्गनॉन कोन्याक।
बीजेपी सांसद प्रताप चंद्र सारंगी
गुरूवार को हुए धक्क-मुक्की के बाद सबसे पहला नाम प्रताप सांरगी का ही आया, जो कि व्हीलचेयर पर बैठे और सिर को रूमाल से ढंकते हुए दिखे। ओडिशा के बालासोर से बीजेपी सांसद प्रताप सारंगी ने मीडिया से भरी भीड़ के समक्ष कहा कि मैं सीढ़ियों पर था, जब राहुल गांधी ने एक सांसद को धक्का मारा और वह मुझ पर गिरे, जिससे मुझे चोट आई।
साल 2019 में 69 साल के प्रताप सारंगी को मोदी कैबिनेट में जगह मिली, जिसकी चर्चा चारों ओर हुई और सांरगी नेशनल लेवल पर प्रसिद्ध हो गए। इसी दौरान मीडिया में उनकी सादगी और साइकिल से चुनाव प्रचार किए जाने की भी खबर आई।
दंगा और आगजनी के आरोप में हो चुके है गिरफ्तार
लेकिन ऐसा नहीं है कि सारंगी के बारे में सबकुछ केवल अच्छा ही है, साल 1999 में ओडिशा के क्योंझर में ऑस्ट्रेलियाई ईसाई मिशनरी ग्राहम स्टेंस और उनके दो बच्चों की हत्या हुई थी। इस हत्या का आरोप बजरंग दल के कार्यकर्ताओं पर लगा था। तब प्रताप सारंगी बजरंग दल की राज्य इकाई के अध्यक्ष थे।
तब इस मामले में सारंगी गवाह बने थे और उन्होंने बयान दिया था कि मुख्य आरोपी दारा सिंह का बजरंग दल से कोई संबंध नहीं है। साल 2002 में ओडिशा पुलिस ने सारंगी को दंगा, आगजनी, हमला और सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के आरोप में गिरफ़्तार किया था।

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में बालासोर सीट से सारंगी ने तत्कालीन बीजू जनता दल के सांसद रबिन्द्र कुमार जेना और नवज्योति पटनायक को पटखनी दी थी। 2024 के चुनाव में भी सारंगी भारी मतों से विजयी हुए।
4 जनवरी 1955 को ओड़िशा में जन्मे सांरगी आर्ट्स में बैचलर डिग्रीधारक है और जुलाई 2021 में उन्हें सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय और मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्रालय का केंद्रीय राज्य मंत्री बनाया गया था। सांसद बनने से पहले सारंगी दो बार विधायक भी रह चुके हैं. दोनों बार सारंगी नीलगिरी विधानसभा क्षेत्र से विधायक थे. 2004 में वो बीजेपी के टिकट पर जीते थे और 2009 में निर्दलीय।
मुकेश राजपूत
उत्तर प्रदेश के फर्रूखाबाद से तीन बार सांसद रह चुके 55 वर्षीय मुकेश राजपूत को राजनीति में लाने का श्रेय उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह को जाता है। 2009 में जब कल्याण सिंह ने बीजेपी छोड़ी थी, तब मुकेश ने भी पार्टी से इस्तीफ़ा दे दिया था। इसके बाद कल्याण सिंह की जन क्रांति पार्टी में मुकेश को यूपी का उपाध्यक्ष बनाया गया।
साल 2014 में हुए चुनाव में फ़र्रुख़ाबाद में मुकेश के सामने कांग्रेस के सलमान ख़ुर्शीद और समाजवादी पार्टी के रामेश्वर सिंह यादव चुनावी मैदान में खड़े थे, मुकेश ने तब 41 फ़ीसदी वोट हासिल करते हुए जीत हासिल की थी।

सांसद बनने से पहले मुकेश साल 2000 से 2012 के बीच फ़र्रुख़ाबाद में दो बार ज़िला पंचायत के अध्यक्ष रह चुके है। मुकेश पार्लियामेंट में कई कमिटियों के सदस्य रह चुके है। चुनाव आयोग को दिए हलफ़नामे के मुताबिक़, उन पर कोई क्रिमिनल केस नहीं है और उनके पास लगभग 1.6 करोड़ की चल संपत्ति और 7.8 करोड़ की अचल संपत्ति है।
एस फॉन्गनॉन कोन्याक
नागालैंड से राज्यसभा की पहली महिला सांसद कोन्याक साल 2022 में चुनी गई थी। कोन्याक संसद के किसी भी सदन में पहुंचने वाली नागालैंड की दूसरी महिला है। धक्का-मुक्की मामले में कोन्याक का राहुल गांधी पर आरोप है कि बातचीत के दौरान वे कोन्याक के काफी करीब आ गए थे, जिससे वे असहज महसूस करने लगी। इस संबंध में उन्होंने सभापति जगदीप धनखड़ को पत्र भी लिखा है।
कोन्याक ने अपने पत्र में कहा कि वह शांतिपूर्वक विरोध कर रही थीं, तभी अचानक राहुल गांधी और अन्य कांग्रेस सदस्य उनके सामने आ गए, जबकि उनके लिए अलग से रास्ता बनाया गया था। उन्होंने ऊंची आवाज़ में मेरे साथ दुर्व्यवहार किया और मेरे इतने करीब थे कि एक महिला सदस्य होने के नाते मुझे असहज महसूस हुआ। मैं भारी मन से एक तरफ़ हट गई, लेकिन मुझे लगा कि किसी भी सांसद को इस तरह का व्यवहार नहीं करना चाहिए।

बीते साल जुलाई में उन्हें राज्यसभा के उप-सभापति पैनल में जगह मिली थी और कुछ दिन बाद उन्हें संसद के उच्च सदन की अध्यक्षता करने का मौक़ा मिला था। दीमापुर से आने वाली कोन्याक ने दिल्ली यूनिवर्सिटी से इंग्लिश लिटरेचर में मास्टर की डिग्री हासिल की है। कोन्याक परिवहन, पर्यटन और संस्कृति समिति और उत्तर पूर्वी क्षेत्र के विकास मंत्रालय की सलाहकार समिति के सदस्य के रूप में कार्य किया है। इसके साथ ही वो शिलॉन्ग के गवर्निंग काउंसिल का भी हिस्सा रही है।