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कौन हैं निर्दलीय उम्मीदवार चित्रा सरवरा, जिन्होंने अनिल विज को दी कांटे की टक्कर

by Reeta Rai Sagar
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चंडीगढ़ : हरियाणा की अंबाला कैंट सीट से बीजेपी उम्मीदवार अनिल विज दिन भर हार-जीत करते-करते अंततः जीत गए। अनिल विज के सामने खड़ी थीं निर्दलीय उम्मीदवार चित्रा सरवरा। हरियाणा के गृह मंत्री रह चुके अनिल विज ने चित्रा को 7277 वोटों से हराया। दिन भर दोनों में कांटे की टक्कर रही। जितनी चर्चा जलेबी की रही, उतनी ही चर्चा चित्रा की भी रही। वोटों की गिनती के दौरान कई बार चित्रा अनिल विज को पछाड़ती दिखीं, लेकिन अंतिम राउंड की गिनती में वे हार गईं। अनिल विज दिन भर मीडिया से बातचीत के दौरान कहते दिखे कि उन्हें जनता के फैसले पर पूरा भरोसा है। जनता का फैसला सिरमाथे पर।

कौन हैं चित्रा सरवरा

कांग्रेस के बागी सांसदों में चित्रा सरवरा का भी नाम है। पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए उन्हें पार्टी से 6 साल के लिए निलंबित कर दिया गया है। पार्टी ने उनकी जगह परविंदर पाल पारी को टिकट दिया, जो तीसरे स्थान पर रहे। पार्टी ने सरवरा को निलंबित किया, तो निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गईं।

चित्रा हमेशा से चर्चा में रही हैं। राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने वाली चित्रा के पिता चौधरी निर्मल सिंह मोहरा नग्गल निर्वाचन क्षेत्र से 4 बार विधायक रह चुके हैं। 18 मार्च 1975 में अंबाला कैंट में जन्मीं चित्रा की राजनीति में यह दूसरी पीढ़ी हैं। 2013 में उन्होंने राजनीतिक सफर की शुरूआत अंबाला कैंट से स्वतंत्र पार्षद के रूप में की। बाद में कांग्रेस में शामिल हो गईं और वहां राज्य समन्वयक, प्रवक्ता आदि जैसे पदों की जिम्मेदारी संभाली। राज्य की एक पार्टी ‘हरियाणा डेमोक्रेटिक फ्रंट’ (HDF) के लिए राष्ट्रीय महासचिव प्रभारी संगठन और कोषाध्यक्ष भी रहीं।

आप से भी जुड़ी रहीं
अक्टूबर, 2019 में भी चित्रा ने अनिल विज के खिलाफ चुनाव लड़ा था, तब भी हार गई थीं। वोटों में करीब 20 हजार मतों का फासला था। दूसरे नंबर पर आई थीं। इसके आम आदमी पार्टी ज्वाइन की। वहां एक साल से भी कम समय (जून, 2022-मार्च 2023) तक आप के उतरी क्षेत्र प्रभारी का पद संभाला।

पिता के साथ दोबारा कांग्रेस ज्वाइन किया


इसके बाद 2024 में वो और उनके पिता ने दोबारा कांग्रेस का दामन थाम लिया। वहां उन्होंने अखिल भारतीय महिला कांग्रेस के लिए राष्ट्रीय महासचिव और सोशल मीडिया प्रभारी के पद पर कार्य किया। हरियाणा प्रदेश महिला कांग्रेस कमेटी की वरिष्ठ उपाध्यक्ष के रूप में भी चित्रा ने काम किया।

इंटरनेशनल वॉलीबॉल प्लेयर


चित्रा अंतरराष्ट्रीय स्तर की वॉलीबॉल प्लेयर भी रह चुकी हैं। कई राष्ट्रीय व राज्य स्तरीय पुरस्कार भी चित्रा के नाम रहे हैं। 1993 में बिहार के पूर्णिया में एक वॉलीबॉल चैंपियन हुई, जिसमें हरियाणा की टीम जीती थीं। जीती हुई टीम में चित्रा भी एक खिलाड़ी थीं। वो बेंगलुरु में इंडिया कैंप भी हिस्सा थीं और 1994 में वॉलीबॉल मैचों में श्रीलंका के ख़िलाफ़ भारत की अगुवाई भी की थी।

बनना चाहती थी डिजाइनर

राजनीति से पहले चित्रा डिजाइनिंग में भी पारंगत थीं। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइनिंग से ग्रेजुएट चित्रा इंडस्ट्रियल डिजाइनर बनना चाहती थीं। बेंगलुरु में ‘Tesseract Design’ नाम की कंपनी के साथ काम शुरू किया। फिर ‘Idiom design and consulting’ के साथ काम किया और फिर दिल्ली आ गईं। शुरू में एक इंडिपेंडेंट डिज़ाइन कंसल्टेंट के तौर पर काम किया। इसके बाद इडिओम डिज़ाइन के दिल्ली ऑफिस की डिज़ाइन हेड बनीं। ये वही कंपनी है, जिसे 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में डिज़ाइनिंग का काम सौंपा गया था।


चित्रा के पति दिग्विजय सिंह चहल भी एक अंतरराष्ट्रीय प्रोफेशनल गोल्फ प्लेयर हैं। वे कर्नल निरंजन सिंह के बेटे हैं। चहल दंपती की दो संतान है।

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