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भाईदूज पर ही क्यों बंद होते है केदारनाथ मंदिर के कपाट, जानिए इसके पीछे का कारण

3 नवंबर यानि भाई दूज के दिन केदारनाथ के कपाट बंद कर दिए जाएंगे। केदारनाथ मंदिर को शीतकाल में बंद करने औऱ दीपावली के उपलक्ष्य में 10 क्विंटल फूलों से सजाया जा रहा है।

by Reeta Rai Sagar
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सेंट्रल डेस्क। बाबा केदरानाथ के कपाट बंद होने की तैयारियां शुरू हो गई है। खबर है कि आने वाले 3 नवंबर यानि भाई दूज के दिन केदारनाथ के कपाट बंद कर दिए जाएंगे। इस आयोजन के लिए मंदिर को 10 क्विंटल फूलों से सजाने की कवायद भी शुरू हो गई है। बीते बुधवार 29 अक्तूबर को केदारनाथ धाम के रक्षक भकुंट भैरवनाथ के कपाट बंद किए जा चुके है।

ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान होगे बाबा केदार

इसी के अगले दिन 30 अक्तूबर को मंदिर के गर्भ गृह में लगे सोने के छत्र को उतारकर पंच पंडा समिति ने भंडार गृह में रख दिया है। केदारनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिए 3 नवंबर को रविवार सुबह 8.30 बजे विशेष पूजा अर्चना के बाद बंद कर दिए जाएंगे और बाबा केदार को पूजा के लिए ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान किया जाएगा। अब 6 महीने बाद ही मंदिर के पट खोले जाएंगे।


बद्रीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मीडिया प्रभारी डॉ हरीश गौड़ ने बताया कि केदारनाथ मंदिर को शीतकाल में बंद करने औऱ दीपावली के उपलक्ष्य में 10 क्विंटल फूलों से सजाया जा रहा है। यह फूल मंदिर समिति औऱ दानादाताओं द्वारा उपलब्ध कराए गए है। समिति ने बताया कि बद्रीनाथ के कपाट 17 नवंबर को बंद किए जाएंगे। 4 नवंबर को तृतीय केदार तुंगनाथ और 20 नवंबर को द्वितीय केदार मद्महेश्वर के कपाट शीतकाल के लिए बंद किए जाएंगे।

गंगोत्री मंदिर समिति औऱ यमुनोत्री मंदिर समिति के कहे अनुसार, गंगोत्री धाम के कपाट अन्नकूट के अवसर पर 2 नवंबर को बंद होंगे और यमुनोत्री धाम के कपाट 3 नवंबर को बंद होंगे।

क्यों बंद होते है भाईदूज के दिन

पौराणिक कथाओं में वर्णन है कि द्वापर युग में महाभारत युद्ध के बाद पांडव द्रौपदी के साथ हिमालय दर्शन के लिए गए थे। तब उन्होंने केदारनाथ मंदिर का निर्माण किया था और भाई दूज के दिन ही अपने पितरों का तर्पण किया था। तब उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति हुई थी। दूसरा कारण यह भी है कि भाई दूज दीवाली के बाद अंतिम त्योहार है और इसके बाद ठंड भी बढ़ जाती है। प्रतिवर्ष मंदिर के कपाट शिवरात्रि के दिन तय समयानुसार खोले जाते है।

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