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EMI कम नहीं हुआ? जानिए RBI के रेट कट के बावजूद बैंक आपकी किस्त क्यों नहीं घटा रहे हैं

यदि आपका लोन फिक्स्ड रेट (Fixed Rate Loan) पर है, तो उस पर RBI की रेपो रेट में कटौती का कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

by Reeta Rai Sagar
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नई दिल्ली: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा रेपो रेट (Repo Rate) में कटौती किए जाने के बाद भी यदि आपकी लोन EMI में कोई कमी नहीं आई है, तो आप अकेले नहीं हैं। अधिकांश उधारकर्ता यह उम्मीद करते हैं कि जैसे ही RBI रेपो रेट में कटौती करता है, उनकी EMI घट जाएगी। लेकिन वास्तविकता में ऐसा तुरंत नहीं होता। इसका प्रमुख कारण आपके लोन की संरचना और ब्याज दर के प्रकार में छिपा होता है

रेपो रेट कटौती का असर लोन EMI पर क्यों नहीं दिखता?

  1. फिक्स्ड रेट लोन का असर नहीं होता:
    यदि आपका लोन फिक्स्ड रेट (Fixed Rate Loan) पर है, तो उस पर RBI की रेपो रेट में कटौती का कोई प्रभाव नहीं पड़ता। इस प्रकार के लोन में ब्याज दर लोन अवधि के दौरान स्थिर रहती है।
  2. फ्लोटिंग रेट लोन के प्रकार:
    फ्लोटिंग रेट लोन भी दो प्रकार के होते हैं –
    • रेपो रेट लिंक्ड लोन (Repo Rate Linked Loan)
    • एमसीएलआर आधारित लोन (MCLR Linked Loan)
    अक्टूबर 2019 के बाद दिए गए अधिकतर लोन रेपो रेट से जुड़े होते हैं, जबकि पुराने लोन अब भी MCLR या बेस रेट (Base Rate) पर आधारित हो सकते हैं। MCLR सिस्टम के तहत, रेपो रेट कटौती का असर धीरे-धीरे होता है।
  3. बैंक का मार्जिन और लागत:
    बैंक अपने खुद के फंड की लागत, ऑपरेशनल खर्च, और उधारकर्ता की क्रेडिट रिस्क को ध्यान में रखकर ब्याज दर तय करते हैं। यही कारण है कि रेपो रेट में कटौती के बावजूद EMI पर असर नहीं दिखता।

EMI घटाने के लिए क्या करें?

  1. लोन का प्रकार पहचानें:
    सबसे पहले यह जानें कि आपका लोन किस प्रकार का है – Fixed, MCLR आधारित, या Repo Rate लिंक्ड। यदि आपका लोन अभी भी पुराने सिस्टम पर है, तो उसे रेपो लिंक्ड लोन में बदलवाने के लिए बैंक से संपर्क करें। अधिकांश बैंक नाममात्र शुल्क पर यह सुविधा देते हैं।
  2. बैलेंस ट्रांसफर का विकल्प:
    यदि अन्य बैंक कम ब्याज दर पर लोन दे रहे हैं और आपकी क्रेडिट स्कोर बेहतर हो चुका है, तो आप बैलेंस ट्रांसफर कर सकते हैं। यह तरीका EMI घटाने में सहायक हो सकता है।
  3. लोन की अवधि कम करें:
    लोन की अवधि घटाने से EMI थोड़ी बढ़ सकती है, लेकिन कुल ब्याज भुगतान में बड़ी बचत होती है।
  4. आंशिक प्रीपेमेंट करें:
    यदि आपके पास अतिरिक्त धनराशि है, तो आप लोन का आंशिक प्रीपेमेंट कर सकते हैं। इससे या तो EMI घटेगी या लोन जल्दी खत्म होगा, दोनों ही स्थिति में ब्याज में बचत होगी।

लोन टर्म्स पर रखें नज़र, तभी मिलेगा फायदा
RBI की मौद्रिक नीति में बदलाव का फायदा तभी मिलेगा जब आप अपने लोन की शर्तों को बारीकी से समझेंगे और समय पर आवश्यक कदम उठाएंगे। EMI कम करने के लिए केवल रेपो रेट कटौती पर निर्भर न रहें, बल्कि लोन कन्वर्जन, बैलेंस ट्रांसफर, प्रीपेमेंट जैसे विकल्पों का लाभ उठाएं।

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