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क्यों मनाया जाता है World Students Day, जानें इस दिन का डॉ.कलाम से क्या है नाता

भारत के मिसाइल मैन के रूप में प्रसिद्ध एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को धनुषकोडी गांव (रामेश्वरम, तमिलनाडु) में एक मध्यमवर्गीय मुस्लिम अंसार परिवार में हुआ था। उन्होंने 2002 से 2007 तक भारत के राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया।

by Rakesh Pandey
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सेंट्रल डेस्क : हर वर्ष 15 अक्टूबर ‘World Students Day’ के रूप में मनाया जाता है। यह भारत के पूर्व राष्ट्रपति और प्रसिद्ध वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती के मौके पर मनाया जाता है। डॉ.कलाम को एक और नाम से भी जानते हैं। उनको ‘मिसाइल मैन’ भी कहा जाता है। संयुक्त राष्ट्र ने हर वर्ष 15 अक्टूबर को एपीजे अब्दुल कलाम के जन्मदिवस को ‘विश्व छात्र दिवस’ के रूप में मनाने की घोषणा की थी। डॉ. कलाम का पूरा जीवन इस बात का प्रतीक है कि यदि ठान लिया जाए तो कोई भी राह न तो कठिन है और ना ही कोई भी लक्ष्य अभेद्य है। उनकी जीवनी को देखा जाए तो वह युवाओं के लिए एक प्रेरणास्रोत हैं। उन्होंने शिक्षा के महत्व को पहचानते हुए कहा था कि यह एक ऐसा शक्तिशाली हथियार है जो किसी भी राष्ट्र को गरीबी और अज्ञानता से बाहर निकाल सकता है।

भारत के मिसाइल मैन के रूप में प्रसिद्ध एपीजे अब्दुल कलाम का जन्म 15 अक्टूबर 1931 को धनुषकोडी गांव (रामेश्वरम, तमिलनाडु) में एक मध्यमवर्गीय मुस्लिम अंसार परिवार में हुआ था। उन्होंने 2002 से 2007 तक भारत के राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। वे एक प्रसिद्ध वैज्ञानिक थे, जिन्होंने भारत के अंतरिक्ष और मिसाइल कार्यक्रमों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। वे भारत के 11वें राष्ट्रपति थे।

विश्व छात्र दिवस का इतिहास

विश्व छात्र दिवस की स्थापना डॉ. कलाम के योगदान और उनकी शिक्षाओं को मान्यता देने के लिए की गई थी। उन्होंने हमेशा छात्रों को प्रोत्साहित किया कि वे अपने सपने देखें और उन्हें पूरा करने के लिए कठोर मेहनत करें। उनकी सोच ने न केवल विज्ञान और तकनीकी में भारत को नई ऊंचाई पर पहुंचाया, बल्कि युवा पीढ़ी को भी प्रेरित किया कि वे अपने देश की सेवा में सक्रिय रूप से भाग लें।

इस दिन का महत्व

विश्व छात्र दिवस का महत्व यह है कि यह छात्रों को अपने विचारों और समस्याओं को साझा करने का अवसर प्रदान करता है। यह दिन उन्हें उनके लक्ष्यों की ओर अग्रसर करने के लिए प्रेरित करता है। इसके अलावा यह दिन शिक्षा के महत्व को भी उजागर करता है। यह भी मानना है कि शिक्षित युवा समाज को बदल सकते हैं। यह दिन उनके योगदान को मान्यता देने का एक मंच है।

डॉ. कलाम के प्रेरणादायक विचार

  • सपने देखो, लक्ष्य बनाओ और उन्हें प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत करो।
  • अगर आप कुछ महान करना चाहते हैं, तो आपको कुछ जोखिम लेने होंगे।
  • सफलता रातों-रात नहीं मिलती, इसके लिए आपको कड़ी मेहनत और लगन की जरूरत होती है।

कलाम के बारे में

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम का जीवन एक प्रेरणादायक यात्रा है। उनके पिता जैनुलाब्दीन न तो ज्यादा पढ़े-लिखे थे और न ही आर्थिक रूप से संपन्न। वे मछुआरों को नाव किराये पर दिया करते थे। अब्दुल कलाम एक संयुक्त परिवार में बड़े हुए, जिसमें उनके पांच भाई और पांच बहनें थीं। यह उनके परिवार का हिस्सा होने का अद्भुत अनुभव था,जिसमें तीन परिवार एक साथ रहते थे।

कलाम के जीवन में उनके पिता का गहरा प्रभाव रहा। भले ही वे पढ़ाई में निपुण नहीं थे,लेकिन उनकी मेहनत और संस्कारों ने कलाम को प्रेरित किया। जब कलाम पांच साल के थे, तब रामेश्वरम के प्राथमिक विद्यालय में उनका दीक्षा-संस्कार हुआ। उनके शिक्षक, इयादुराई सोलोमन, ने उन्हें सिखाया कि सफलता के लिए तीव्र इच्छा, आस्था और अपेक्षा की समझ जरूरी है।

पांचवीं कक्षा में पढ़ते समय जब उनके अध्यापक पक्षियों के उड़ने के तरीकों के बारे में समझा रहे थे तो छात्रों को समझ नहीं आया। तब उन्होंने समुद्र तट पर जाकर उड़ते पक्षियों को दिखाया। इस अनुभव ने कलाम को विमान विज्ञान में कॅरियर बनाने का संकल्प दिलाया। गणित में रुचि रखने के कारण, वे सुबह चार बजे गणित की ट्यूशन के लिए भी जाते थे।

1972 में अब्दुल कलाम ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) से जुड़कर भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह (एस.एल.वी. तृतीय) बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 1980 में उन्होंने रोहिणी उपग्रह को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया,जिससे भारत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष क्लब का सदस्य बन गया। वे स्वदेशी गाइडेड मिसाइल्स के डिजाइन में भी शामिल रहे, जैसे अग्नि और पृथ्वी प्रक्षेपास्त्र, जिन्हें उन्होंने स्वदेशी तकनीक से विकसित किया। जुलाई 1992 से दिसंबर 1999 तक वे रक्षा मंत्री के विज्ञान सलाहकार और सुरक्षा शोध एवं विकास विभाग के सचिव रहे।

अब्दुल कलाम का निधन

अब्दुल कलाम का निधन 27 जुलाई 2015 को हुआ, जब वे भारतीय प्रबंधन संस्थान, शिलांग में ‘रहने योग्य ग्रह’ पर व्याख्यान दे रहे थे। उन्हें कार्डियक अरेस्ट आया और वे बेहोश होकर गिर पड़े। गंभीर स्थिति में उन्हें बेथानी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहां दो घंटे बाद उनकी मृत्यु की पुष्टि की गई। अस्पताल के सीईओ ने बताया कि जब उन्हें लाया गया तब उनकी नब्ज और रक्तचाप दोनों ही कम हो चुके थे। अपने निधन से लगभग 9 घंटे पहले उन्होंने ट्वीट किया था कि वे शिलांग आईआईएम में लेक्चर देने जा रहे हैं।

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