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क्यों छाए हुए हैं AAP ज्वॉइन करनेवाले ‘ओझा सर,’ जानिए कितने अमीर हैं

जहां एक ओर ओझा सर शिक्षा के क्षेत्र में अपनी पहचान बना चुके हैं, वहीं दूसरी ओर अब वे राजनीति में आकर इस क्षेत्र के सुधार की दिशा में अपना योगदान देना चाहते हैं।

by Rakesh Pandey
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लखनऊ : उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के निवासी, मोटिवेशनल स्पीकर और चर्चित शिक्षक अवध ओझा ने आम आदमी पार्टी (AAP) ज्वॉइन करते हुए राजनीतिक यात्रा शुरू की है। उनके इस अप्रत्याशित कदम को लेकर मीडिया और राजनीति में खूब चर्चा हो रही है। आम आदमी पार्टी में शामिल होने के बाद, ओझा ने कहा कि उनका मुख्य उद्देश्य शिक्षा के क्षेत्र में सुधार करना है। राजनीति में आकर वे इस दिशा में अपनी भूमिका निभाना चाहते हैं।

मां को शिक्षा दिलाने के लिए पिता ने बेच दी थी जमीन

अवध ओझा का जन्म 3 जुलाई 1984 को गोंडा जिले में हुआ था। उनके पिता श्रीमाता प्रसाद ओझा पोस्टमास्टर थे, जबकि उनकी मां एक वकील थीं। उनके माता-पिता ने उन्हें हमेशा शिक्षा की अहमियत समझाई और इसके लिए वे खुद भी कई बलिदान देने को तैयार थे। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ओझा सर के पिता ने अपनी पत्नी को शिक्षा दिलवाने के लिए अपनी पांच एकड़ ज़मीन बेच दी थी।

खुद UPSC में नहीं हुए सफल, अब छात्रों को करते हैं मोटिवेट

अवध ओझा का नाम शिक्षा जगत में “ओझा सर” के नाम से मशहूर हुआ। उन्होंने गोंडा में अपनी शुरुआती शिक्षा पूरी की और फिर दिल्ली में यूपीएससी की तैयारी शुरू की। हालांकि, वे यूपीएससी में सफल नहीं हो पाए, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने अपनी राह नहीं बदली और छात्रों को यूपीएससी की तैयारी करवाने के लिए कोचिंग देनी शुरू की। उन्होंने अपनी पढ़ाई का तरीका बदला और छात्रों के फीडबैक पर अपनी शिक्षण शैली में सुधार किया, जिससे वे बहुत जल्द लोकप्रिय हो गए। इसके बाद, उन्होंने अपना यूट्यूब चैनल शुरू किया, जहां उन्होंने यूपीएससी के छात्रों को मुफ्त में मार्गदर्शन देना शुरू किया। यूट्यूब चैनल के जरिए उनकी लोकप्रियता और बढ़ी, और अब वे शिक्षा के क्षेत्र में एक प्रमुख नाम बन गए हैं।

राजनीति के जरिए शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव लाने का इरादा

अवध ओझा ने आम आदमी पार्टी में शामिल होकर राजनीति में कदम रखा है। उन्होंने कहा कि उनका मुख्य उद्देश्य शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव लाना है। पार्टी के नेताओं के अनुसार, अवध ओझा के राजनीति में आने से शिक्षा के क्षेत्र में सुधार और विकास होगा। अरविंद केजरीवाल ने भी उनका पार्टी में स्वागत करते हुए कहा कि उनके अनुभव और शिक्षा के क्षेत्र में काम करने के जुनून से आम आदमी पार्टी को बहुत फायदा होगा। ओझा ने कहा कि यदि उन्हें राजनीति और शिक्षा के क्षेत्र में से किसी एक को चुनने का मौका मिले, तो वे राजनीति को चुनेंगे।

कितनी संपत्ति के मालिक हैं ओझा सर

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अवध ओझा की नेट वर्थ लगभग 11 करोड़ रुपये के आसपास है। यह आंकड़ा उनकी शिक्षा के क्षेत्र में सफल कोचिंग संस्थान और यूट्यूब चैनल से आने वाली आय के आधार पर है। ओझा सर की कोचिंग क्लासेस की फीस भी काफी ऊंची है। उनके यूपीएससी जीएस फाउंडेशन कोर्स की फीस ऑनलाइन मोड में 80,000 रुपये (जीएसटी सहित) है, जबकि ऑफलाइन कोर्स की फीस 1.2 लाख रुपये तक जाती है। इसके अतिरिक्त, ओझा सर के कोचिंग इंस्टीट्यूट के विभिन्न कोर्सेज और उनकी किताबों से भी वे अच्छा मुनाफा कमाते हैं।

अपना आलीशान घर, यूट्यूब चैनल से भी कमाई

अवध ओझा के पास खुद का एक आलीशान घर और कई अन्य संपत्तियां भी हैं, जो उनकी बढ़ती संपत्ति का प्रमाण हैं। इसके अलावा, उनकी यूट्यूब चैनल की सक्सेस और अन्य माध्यमों से भी उनकी आय होती है। इस प्रकार, वे न केवल एक चर्चित शिक्षक हैं, बल्कि एक सफल व्यवसायी भी हैं।

ओझा सर का राजनीतिक भविष्य

अवध ओझा की राजनीति में सक्रियता के बाद, यह देखा जाएगा कि वे शिक्षा के क्षेत्र में सुधार करने के लिए क्या कदम उठाते हैं। आने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव में उनके नामांकन की संभावना जताई जा रही है, हालांकि इस पर अभी तक आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है।

जहां एक ओर ओझा सर शिक्षा के क्षेत्र में अपनी पहचान बना चुके हैं, वहीं दूसरी ओर अब वे राजनीति में आकर इस क्षेत्र के सुधार की दिशा में अपना योगदान देना चाहते हैं। उनके राजनीति में प्रवेश को लेकर कई अटकलें लगाई जा रही हैं, और यह देखना दिलचस्प होगा कि वे किस तरह से अपनी शिक्षा क्रांति के विचारों को राजनीतिक मंच पर आगे बढ़ाते हैं।

अब नई पारी पर निगाहें

अवध ओझा की संपत्ति और उनके द्वारा की गई मेहनत यह साबित करती है कि वह एक समर्पित शिक्षक और सफल व्यवसायी हैं। उनकी शिक्षा के प्रति लगन और प्रयासों को देखकर यह कहा जा सकता है कि वे राजनीति में भी एक सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं। अब जब उन्होंने आम आदमी पार्टी जॉइन की है, तो यह उनके लिए एक नया अध्याय है और यह देखना होगा कि वे किस तरह से शिक्षा क्षेत्र में सुधार के अपने लक्ष्यों को पूरा करते हैं।

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