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केंद्र सरकार ने क्यों कहा, Marital Rape को अपराध घोषित करने की जरूरत ‘नहीं’

सरकार ने कहा है कि किसी भी शादी में युगल से उचित यौन संबंधों की कामना की जाती है। लेकिन ऐसी अपेक्षाएं पति को पत्नी से जबरन यौन संबंध बनाने को मजबूर करने का अधिकार नहीं देती और इसके लिए दंडात्मक व्यवस्था है।

by Reeta Rai Sagar
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सेंट्रल डेस्क। Marital Rape को अपराध घोषित करने की जरूरत नहीं है। ये बातें केंद्र सरकार की ओर से सुप्रीम कोर्ट में कही गई। केंद्र सरकार का कहना है मैरिटेल रेप को अलग से अपराध की श्रेणी में रखने की जरूरत नहीं है। गुरुवार को शीर्ष न्यायालय में एक हलफनामा दायर कर सरकार की ओर से कहा गया कि इसके लिए अन्य दंडात्मक उपाय मौजूद हैं। सरकार ने यह भी कहा कि मैरिटल रेप को अपराध घोषित करना सुप्रीम कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं है।

केंद्र सरकार ने कहा कि यह मामला कानूनी से अधिक सामाजिक मुद्दा है। सरकार का मानना है कि इस मसले का सीधा असर समाज पर पड़ेगा। इस मुद्दे पर सभी हितधारकों के साथ उचित परामर्श किया जाना चाहिए। साथ ही सभी राज्यों के मतों को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए, इसके बाद ही निर्णय लेना उचित है।

Marital Rape: वैवाहिक जीवन में यह मामला अलग


सरकार ने यह भी माना है कि विवाह से महिला की सहमति की बात खत्म नहीं हो जाती। इसमें किसी भी प्रकार का उल्लंघन होने पर, दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिए। विवाह में किए गए ऐसे किसी भी उल्लंघन के परिणाम विवाह के बाहर किए गए उल्लंघन से अलग होते हैं। किसी भी शादी में युगल से उचित यौन संबंधों की कामना की जाती है। लेकिन ऐसी अपेक्षाएं पति को पत्नी से जबरन यौन संबंध बनाने को मजबूर करने का अधिकार नहीं देती है।

यौन संबंध पति-पत्नी के बीच संबंधों के कई पहलुओं में से एक


केंद्र सरकार ने यह स्पष्ट किया कि बलात्कार विरोधी कानून के तहत किसी व्यक्ति को ऐसे काम के लिए दंडित करना गलत है। सरकार ने कहा कि यौन संबंध पति औऱ पत्नी के बीच संबंधों के कई पहलुओं में से एक है और इसी पर विवाह की नींव टिकी होती है। भारत में सामाजिक और कानूनी परिवेश में विवाह संस्था को सुरक्षित करना आवश्यक है। सरकार ने कहा कि अगर विवाह संस्था को सहेजना है, तो कोर्ट के लिए इस अपवाद को खारिज करना उचित नहीं होगा।

ब्रिटिश इंडिया में भी था ऐसा प्रावधान

19वीं शताब्दी में भारत में ब्रिटिश शासन के समय लागू दंड संहिता में स्पष्ट रुप से कहा गया है कि किसी व्यक्ति द्वारा अपनी पत्नी के साथ किया गया यौन-कृत्य बलात्कार की श्रेणी में नहीं आता है। मैरिटल रेप को अवैध बनाने की मांग दशकों से चली आ रही है। वर्तमान में दंड संहिता में बलात्कार के दोषियों के लिए न्यूनतम 10 साल की सजा का प्रावधान है।

क्या कहती है स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट
2019-21 में सरकार द्वारा किए गए राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के अनुसार, 18-49 आयु वर्ग की 6 प्रतिशत विवाहित महिलाएं यौन हिंसा का शिकार होती है यानि 10 मिलियन से भी अधिक। मई 2022 में दिल्ली उच्च न्यायालय में दो न्यायाधीशों की पीठ द्वारा फैसला जारी करने के बाद इसे सुप्रीम कोर्ट को भेजा गया था।

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