स्पेशल डेस्क, नई दिल्ली : राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन-एनडीए का कुनबा और बड़ा हो सकता है। गठबंधन में शामिल पार्टियों की संख्या 40 तक पहुंच सकती है। विश्वस्त सूत्रों की मानें तो एनडीए गठबंधन में शामिल होने के लिए भाजपा की यूपी और बिहार की दो अलग-अलग पार्टियों से वार्ता चल रही है। इस काम में फिलहाल भाजपा ने अपने प्रदेश स्तर के नेताओं को लगाया है। बातचीत किसी निर्णायक मोड़ पर पहुंचने के बाद शीर्ष नेतृत्व के स्तर पर वार्ता होगी। बताया जा रहा है कि यूपी में महान दल तथा बिहार में मुकेश सहनी की विकासशील इंसान पार्टी वीआइपी से बातचीत हो रही है।
आखिर क्यों अलग-अलग पार्टियों को जोड़ रही बीजेपी
सवाल उठ रहा है कि वर्ष 2024 के चुनाव में बड़ी जीत का दावा कर रही भाजपा एनडीए के जरिये अपना कुनबा क्यों बढ़ा रही है? राजनीतिशास्त्र के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. राजेंद्र भारती की माने तो अलग-अलग दलों को जोड़ने के बीच भाजपा का लक्ष्य विपक्षी एकता को कमजोर करना है। फिलहाल पार्टियों की संख्या के आधार पर बात करें तो एनडीए में जहां 38 दल शामिल हो चुके हैं, वहीं विपक्षी गठबंधन इंडिया में 26 दल शामिल हैं। भाजपा पार्टियों की संख्या के मामले में भी बढ़त बनाये रखना चाहती है। फिलहाल अगर एनडीए गठबंधन की बात करें तो इसमें 10 पार्टियों ने पिछले वर्ष लाेकसभा का चुनाव नहीं लड़ा था। 15 दल चुनाव में उतरने के बावजूद अपना एक भी सदस्य लोकसभा नहीं भेज पाये। इसके बावजूद इन दलों के सीमित जनाधार से कोई इनकार नहीं कर सकता। भाजपा आगामी लोकसभा चुनाव में एक-एक वोट अपने खाते में डालना चाहती है। इसके लिए सभी तरह के समीकरण साधे जा रहे हैं।
विपक्षी एकता के बाद क्यों सक्रिय हुई भाजपा
राजनीति के जानकारों की माने तो राजनीति में कोई भी छोटी से छोटी घटना परिणाम को प्रभावित कर सकती है। विपक्षी दलों की ओर से मोर्चेबंदी शुरू करने के बाद भाजपा को लगा कि वह अपना ही बनाया फार्मूला छोड़ रही है। विभिन्न राजनीतिक दलों को एक मंच पर लाकर सबसे सफल पांच वर्ष की पहली गठबंधन सरकार चलाने का रिकॉर्ड भाजपा के खाते में हैं।
पार्टी अपनी मजबूत स्थिति में भी इस उपलब्धि को हाथ से निकलने नहीं देना चाहिये। मोदी सरकार के गठन के बाद एक-एक कर भाजपा के कई पुराने दोस्त एनडीए से अलग हो चुके हैं। लिहाजा पार्टी के रणनीतिकारों को लगता है कि आने वाले चुनाव से पहले पार्टी के साथ-साथ गठबंधन को भी मजबूत करने से परहेज नहीं करना चाहिये।
लिहाजा दलों को जोड़ने की कवायद तेजी से चल रही है। चिराग पासवान गठबंधन के पाले में आ गये हैं। यूपी में ओमप्रकाश राजभर ने एनडीए का दामन थाम लिया है। कर्नाटक में जेडीएस ने बीजेपी के साथ मिलकर काम करने का फैसला कर लिया है। फिलहाल पुराने एनडीए के साथियों में शिवसेना का उद्धव ठाकरे गुट, अकाली दल, टीडीपी व जदयू गठबंधन से अलग हैं।