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Navratri 2025 9th Day Puja Vidhi : नवरात्रि के 9वें दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा विधि, जानें रामनवमी पूजन विधि और भोग

by Rakesh Pandey
worship of Maa Siddhidatri
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रांची : आज चैत्र नवरात्रि या नवरात्र का 9वां दिन है, जिसे विशेष रूप से रामनवमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है, जो देवी दुर्गा के नौ रूपों में से एक हैं। मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री उन भक्तों को सिद्धियां और मोक्ष प्रदान करती हैं, जो श्रद्धा और निष्ठा से उनकी पूजा करते हैं। यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि आत्मिक उन्नति और सुख-शांति की प्राप्ति के लिए भी अत्यधिक शुभ माना जाता है।

मां सिद्धिदात्री का स्वरूप और पूजा

मां सिद्धिदात्री को कमल के फूल पर विराजमान माना जाता है। उनका रूप अत्यधिक शुभ और सुंदर होता है, जिसमें वह अपने भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। उन्हें विद्या और कला की देवी सरस्वती का रूप भी माना जाता है। नवरात्रि के इस अंतिम दिन, भक्त उन्हें नौ प्रकार के फल और फूल अर्पित करते हैं, जिससे घर में सुख-समृद्धि का वास होता है और बुरे समय में राहत मिलती है।

मां सिद्धिदात्री की पूजा से मिलती हैं आठ सिद्धियां

मां सिद्धिदात्री के पास आठ सिद्धियां हैं, जो किसी भी भक्त के जीवन में सफलता, समृद्धि और शांति का मार्ग प्रशस्त करती हैं। मान्यता है कि देवी-देवता, गंधर्व, ऋषि-मुनि और असुर भी मां सिद्धिदात्री की पूजा करके इन आठ सिद्धियों को प्राप्त कर सकते हैं और अंत में मोक्ष की प्राप्ति होती है।

रामनवमी और नवरात्रि की पूजा विधि

नवरात्रि के इस 9वें दिन की विशेष पूजा विधि में कन्या पूजन का महत्व अत्यधिक है। इस दिन 9 कन्याओं और एक बालक (लांगूर) का पूजन किया जाता है। हालांकि, अपने सामर्थ्य के अनुसार 5 कन्याओं का पूजन भी किया जा सकता है। इन कन्याओं को भोजन कराकर उन्हें दान-दक्षिणा दी जाती है और उनका आशीर्वाद लिया जाता है। कन्या पूजन का उद्देश्य है देवी दुर्गा के रूप में मां सिद्धिदात्री की कृपा प्राप्त करना और जीवन में सुख-शांति का संचार करना।

मां सिद्धिदात्री को अर्पित भोग

मां सिद्धिदात्री को प्रसन्न करने के लिए भक्त कई प्रकार के भोग अर्पित करते हैं। इनमें हलवा, पूड़ी, चना, खीर, फल, और नारियल जैसे प्रसाद प्रमुख होते हैं। इन भोगों को अर्पित करने से मां सिद्धिदात्री की कृपा प्राप्त होती है। इसके अलावा, इस दिन पूजा के दौरान जामुनी या बैंगनी रंग के कपड़े पहनने का विशेष महत्व है, क्योंकि इन रंगों को पहनने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है और पूजा का फल अधिक मिलता है।

आरती और पूजन के बाद

भोग अर्पित करने के बाद, भक्त मां सिद्धिदात्री की आरती गाकर उनका आभार व्यक्त करते हैं। आरती के बाद श्रद्धालु अपने जीवन में सुख, समृद्धि और मोक्ष की कामना करते हैं। यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि मानसिक और आत्मिक शांति प्राप्त करने के लिए भी अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है।

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