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इसरो ने लॉन्च किया XPoSat, ब्लैक होल का खुलेगा रहस्य

by Rakesh Pandey
XPoSat Launch
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सेंट्रल डेस्क। ISRO, PSLV-C58/XPoSat Launch: इसरो ने नए साल के पहले दिन, 1 जनवरी 2024 को एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) ने नए साल की पहली सुबह एक नई कहानी रची है। दरअसल, 1 जनवरी 2024 सुबह 9 बजकर 10 मिनट पर PSLV-C58/XPoSat को सफलतापूर्वक लॉन्च कर दिया गया।

XPoSat

XPoSat Launch

इस XPoSat की  लान्चिंग से अंतरिक्ष और ब्लैक होल के रहस्यों का पर्दाफाश होने की संभावना है। ISRO के एक्स-रे पोलरिमीटर उपग्रह समेत 11 उपग्रहों को सफलतापूर्वक उनकी कक्षा में स्थापित किया गया। बता दें कि इस लॉन्च के माध्यम से भारत ने अंतरिक्ष में अपना एक और महत्वपूर्ण कदम बढ़ाया है। माना जा रहा है कि इससे ब्लैक होल और खगोलीय स्रोतों के रहस्यों से पर्दा हटाने में कामयाबी मिल सकती है।

चेन्नई से 135 किलोमीटर दूर हुई XPoSat लान्चिंग

PSLV-C58/XPoSat को सोमवार की सुबह चेन्नई के समीप लान्च किया गया। इस महत्वपूर्ण मोमेंट, चेन्नई से करीब 135 किलोमीटर पूर्व में स्थित अंतरिक्ष केंद्र ने नए साल के पहले दिन, सुबह 9 बजकर 10 मिनट पर XPoSat को लॉन्च किया गया।

पेलोड और अन्य सैटेलाइट्स

रॉकेट PSLV-C58 ने इस 60वें मिशन के दौरान XPoSat के साथ 10 और सैटेलाइट्स को लेकर यात्रा की है, जो पृथ्वी की निचली कक्षाओं में स्थापित किए जाएंगे।

XPoSAT का महत्व:

‘एक्स-रे पोलरिमीटर सैटेलाइट’ (XPoSAT) अंतरिक्षीय स्रोतों से एक्स-रे उत्सर्जन का अंतरिक्ष आधारित ध्रुवीकरण माप में अध्ययन करने के लिए इसरो का पहला समर्पित वैज्ञानिक उपग्रह है।

ISRO से पहले NASA ने भी किया है अध्ययन

ISRO के इस मिशन से पहले, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने भी ब्लैक होल और खगोलीय घटनाओं का अध्ययन किया था। इसमें से एक्स-रे के माध्यम से ध्रुवीकरण का अंतर्राष्ट्रीय महत्व है, और इस संदर्भ में XPoSat मिशन एक महत्वपूर्ण कदम है।

क्यों खास है यह मिशन?

ISRO ने बताया कि इस उपग्रह का लक्ष्य सुदूर अंतरिक्ष से आने वाली गहन एक्स-रे का पोलराइजेशन यानी ध्रुवीकरण के बारे में पता लगाना है। यह रहस्य इन किरणों के बारे में काफी जानकारी देते हैं। इतना ही नहीं, बल्कि यह पिंड या संरचनाएं ब्लैक होल, न्यूट्रॉन तारे (तारे में विस्फोट के बाद उसके बचे अत्यधिक द्रव्यमान वाले हिस्से), आकाशगंगा के केंद्र में मौजूद नाभिक ( the nucleus at the center of the galaxy) आदि को समझने में मदद करता है।

ISRO के प्रमुख ने कहा:

SLV-C58 XPoSat मिशन पर इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा, “1 जनवरी 2024 को पीएसएलवी का एक और सफल मिशन पूरा हो गया है।

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