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योगी सरकार ने राज्य कर विभाग के भ्रष्ट अधिकारियों की सूची मांगी, परफॉर्मेंस की होगी जांच

योगी सरकार ने राज्य कर विभाग के अधिकारियों के खिलाफ एक नई कार्यशैली को लागू करने का निर्णय लिया है, जिससे विभागीय भ्रष्टाचार और अनियमितताओं पर लगाम लगाई जा सके।

by Rakesh Pandey
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लखनऊ : उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य कर विभाग के अधिकारियों के प्रदर्शन और भ्रष्टाचार के मामलों पर विशेष ध्यान देने का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार ने विभाग के अधिकारियों की एक विस्तृत समीक्षा शुरू की है, जिसके तहत सबसे भ्रष्ट और खराब प्रदर्शन करने वाले अधिकारियों की एक सूची तैयार की जाएगी। इस सूची में उन अधिकारियों के नाम शामिल होंगे जिनकी कार्यशैली और छवि खराब रही है और जिन्होंने निर्धारित मानकों के तहत अच्छा प्रदर्शन नहीं किया।

अधिकारियों की परफॉर्मेंस की होगी समीक्षा

उत्तर प्रदेश के प्रमुख सचिव (राज्य कर) एम. देवराज ने इस पहल की शुरुआत करते हुए एक समीक्षा बैठक में कहा कि विभाग के हर जोन से भ्रष्ट अधिकारियों की सूची मांगी जाएगी। जोन स्तर पर विभिन्न विभागों के अधिकारियों का प्रदर्शन और उनकी कार्यशैली की जांच की जाएगी। बैठक में अधिकारियों को यह निर्देश दिए गए कि वे एसआईबी (विशेष जांच दल) और सचल दल के अधिकारियों से इन अधिकारियों की सूची जल्द से जल्द तैयार करें। इसके बाद, इन अधिकारियों की पूरी जानकारी शासन तक पहुंचाई जाएगी।

यह कदम योगी सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रवैये को दर्शाता है, जो सत्ता में आते ही विभागीय अनियमितताओं पर कड़ी नजर रखने का दावा कर रही है।

जिन मानकों पर होगी जांच

इस सूची को तैयार करने के लिए कुछ विशेष मानकों की स्थापना की गई है, जिनके आधार पर अधिकारियों की परफॉर्मेंस की समीक्षा की जाएगी। यह मानक निम्नलिखित हैं:

टैक्स कलेक्शन की स्थिति– अधिकारियों के द्वारा किए गए टैक्स कलेक्शन की गुणवत्ता और मात्रा की जांच की जाएगी।

प्रोफाइल की गुणवत्ता– टैक्स चुकाने वालों का प्रोफाइल कितना साफ और सटीक है, इसे देखा जाएगा।

सचल दल की कार्यप्रणाली– सचल दल द्वारा टैक्स चोरी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई और वाहन चेकिंग की स्थिति पर ध्यान दिया जाएगा।

50000 रुपये से कम के बिलों का संकलन– जिन मामलों में छोटे बिल हैं, उनका टैक्स कलेक्शन कैसा रहा, इसका मूल्यांकन किया जाएगा।

टैक्स चोरी पर असर– किस हद तक टैक्स चोरी की जा रही है और वाहन चेकिंग की प्रभावशीलता पर विचार किया जाएगा।

अधिकारी की छवि– अधिकारी की व्यक्तिगत और पेशेवर छवि को भी आंका जाएगा। इन सभी मानकों के आधार पर अधिकारियों के प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जाएगा और जिन अधिकारियों के नाम इस कसौटी पर खरे नहीं उतरेंगे, उन्हें सीधे मुख्यमंत्री के पास भेजा जाएगा। इसके बाद, इन अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा सकती है।

अधिकारियों में बंटे हुए हैं मत


इस फैसले के बाद, राज्य कर विभाग में अफसरों के बीच असमंजस और असंतोष की स्थिति उत्पन्न हो गई है। कुछ अधिकारियों का कहना है कि यह मानक केवल ग्रेड 2 के अधिकारियों पर लागू होंगे, जबकि ग्रेड 1 के वरिष्ठ अधिकारियों को इससे बाहर रखा गया है। इस पर सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या इसका मतलब यह है कि ग्रेड 1 के अधिकारी पूरी तरह से पाक-साफ हैं और उनकी जांच की आवश्यकता नहीं है?

इस मसले को लेकर विभागीय अधिकारियों में मतभेद उभर आए हैं, और कई वरिष्ठ अधिकारियों ने इसे गलत बताया है। उनका कहना है कि यदि बड़े अधिकारी अपने कर्तव्यों में लापरवाह हैं, तो उन्हें भी समान रूप से जांच के दायरे में लाया जाना चाहिए। वहीं, कुछ का मानना है कि छोटे अधिकारियों पर कार्रवाई से बड़े अधिकारियों को बचाया जा सकता है, जिससे भ्रष्टाचार की असल जड़ को छिपाने का प्रयास हो सकता है।

भ्रष्टाचार के खिलाफ योगी सरकार की कड़ी नीति


उत्तर प्रदेश सरकार के इस कदम को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक कड़ा और प्रभावी संदेश के रूप में देखा जा रहा है। राज्य कर विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार और अनियमितताओं को रोकने के लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम हो सकता है, जिसमें विभाग के अधिकारियों की सख्त निगरानी और उनके प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जाएगा।

योगी सरकार का यह निर्णय चुनावी वादों के अनुरूप है, जिसमें उन्होंने प्रशासनिक सुधार और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की बात की थी। इस पहल से यह उम्मीद जताई जा रही है कि विभागों में पारदर्शिता बढ़ेगी और भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

योगी सरकार ने राज्य कर विभाग के अधिकारियों के खिलाफ एक नई कार्यशैली को लागू करने का निर्णय लिया है, जिससे विभागीय भ्रष्टाचार और अनियमितताओं पर लगाम लगाई जा सके। विभाग में भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी, लेकिन इसके साथ ही यह सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या वरिष्ठ अधिकारियों को भी समान जांच के दायरे में लाया जाएगा? यह देखने वाली बात होगी कि सरकार इस मुद्दे पर क्या कदम उठाती है और क्या विभागीय सुधार की दिशा में यह कदम प्रभावी साबित होता है।

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